पृष्ठ:परमार्थ-सोपान.pdf/२३३

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Pada 13] Ascent. १७५ (१३) अनुवाद. हे लोगो, यह देश ऐसा पागल है कि जहाँ आने से आदमी मतवाला हो जाता है । विना शराब के ही मतवाले हो कर लोग झूमते हैं और जन्म मरण का दुख खो देते हैं । सीप के बिना ही अमूल्य मोती उत्पन्न होते हैं। बिजली के विना चमक उठती है। ऋतु के बिना ही यहाँ फूल फूले रहते हैं । और फल अमृत रस से भरे रहते हैं । अनहद शब्द भ्रमर के सदृश गुजारता है। शंख, पखावज, ताल, घण्टा और बाँसुरी बजते हैं। घनघोर भेरी और नगारे झड़ते हैं । यहाँ पर बिना पैरों के रम्भा नृत्य करती है । बिना नूपुर के ठुमकी मारती हैं। सिद्धियों की गर्जना अति गम्भीर घुँघरूओं की झनकार के सदृश है । गुरु शुकदेव जब कृपा करते हैं, तब ऐसा देश दिखाते हैं । चरणदास उनके पदों का स्पर्श कर के जन्म मरण खो देते हैं ।