पृष्ठ:परमार्थ-सोपान.pdf/२५६

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१९८ परमार्थसोपान [Part I Ch. 5 25. THE GRACE OF GOD IN THE SHAPE OF ANAHAT SAVES KABIR FROM THE REIGN OF UNIVERSAL DECEIPT. रमैया कि दुलहिनि लूटल बजार 11211 सुरपुर लूट नागपुर लूटा, तीन लोक मच हाहाकार 11 2 11 ब्रह्मा लूट महादेव लूटा, नारद मुनि के परी पिछार ॥ २ ॥ सिंगी की मिंगी करि डारी, परासर के उदर विदार 11 3 11 कनफूँका चिदकासी लूटे, लूटे जोगेसर करत विचार 11811 हम तो बचिगे साहब दया से, सब्द डोर गहि उतरे पार 11411. कहत कबीर सुनो भई साधो, इस ठगिनी से रहो हुसियार 11 & 11