पृष्ठ:परमार्थ-सोपान.pdf/३१८

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२६० परमार्थसोपान [ Part II Ch. 4 22. MEDITATE ON GOD'S NAME WITH PLEASURE OR DISPLEASURE. तुलसी ऐसे नाम को, रीझि भजो या खीझ | खेत पड़े बीया जमे, उलटि पड़े या सीधि ॥ 23. UTTER THE NAME OF GOD WITH FAITH, WITHOUT FAITH, IN IDLENESS OR EVEN WITH HATRED. भाव कुभाव अनख आलस हूँ । नाम जपत मंगल दिसि दस हूँ ॥ भाव सहित शंकर जप्यौ, जपि कुभाव मुनि बालि । कुम्भकरन सालस जप्यौ, अनख सहित दसमाथ ॥ 24. LEAVE AWAY ALL EGOISM AND FALSE SENSE OF HONOUR. रहिमन गली है साँकरी, दूजो ना ठहराहि । आपु अहै तो हरि नहीं, हरि तो आपुन नाहिं | पीया चाहे प्रेम रस, राखा चाहें मान । एक म्यान में दो खड़ग, देखा सुना न कान |