पृष्ठ:परमार्थ-सोपान.pdf/३२०

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२६२ परमार्थसोपान [ Part II Ch. 4 25. MEDITATE ON THAT WHICH IS BEYOND BOTH SAGUNA AND NIRGUNA. सर्गुण की सेवा करो, निर्गुण का करु ज्ञान । निर्गुन सगुन के परे, तहैं हमारा ध्यान || 26. REAL MEDITATION IS MEDITATION IN GOD'S PRESENCE. कविरा धारा अगम की, सद्गुरु दई लखाय । उलटि ताहि सुमिरन करौ, स्वामी संग मिलाय | 27- REMEMBRANCE OF GOD'S NAME WITH THE HELP OF THE ANAHAT SOUND. लाख कोस जो गुरु बसै, दीजै सुरत पठाय । सबद तुरय असवार है, पल पल आवे जाय ||