पृष्ठ:परमार्थ-सोपान.pdf/३२१

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Dohas 25-27] Pilgrimage २६३ (२५) अनुवाद. सगुण की सेवा करो | निर्गुण का ज्ञान लो । जो निर्गुण और सगुण के परे है, उस पर ही हमारा ध्यान है । (२६) अनुवाद. कबीर कहते हैं कि सद्गुरु ने अगम की धारा दिखला दी । उसको उलट कर स्वामी का साथ मिलाकर स्मरण करो । (२७) अनुवाद. लाख कोस गुरु के दूर रहने पर भी सुरत को उसके पास भेज दीजिए | तुर्या में प्रतीत होने वाले शब्द पर या शब्द तुरंगम पर सवार होकर वह क्षण क्षण आवागमन करेगी ।