पृष्ठ:परमार्थ-सोपान.pdf/३३०

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૨૭૨ परमार्थ सोपान [Part II Ch. 5 7. BY THE HELP OF MY SPIRITUAL TEACHER, THE NAME HAS SPRUNG UP IN ME; WHY SHOULD I BABBLE ANY LONGER ? गुण इन्द्री सहजै गए, सतगुरु करी सहाय । घट में नाम प्रगट भया, बकि बकि मरै बलाय ॥ 8. THE RESOUNDING OF GOD'S NAME THROUGH EVERY HAIR OF THE BODY. हाड़ सूखि पिंजर भए, रंगैं सूखि भइँ तार । रोम रोम सुर उठत है, बाजत नाम तिहार ॥ 9. I HAVE NOW FOUNDOUT WITHIN ME THE MUSI- CIAN, FROM WHOM PROCEEDS MANIFOLD MUSIC. सब बाजे हिरदे बजैं, प्रेम पखावज तार । मन्दिर ढूँढ़त को फिरे, मिल्यो बजावनहार ॥