पृष्ठ:परमार्थ-सोपान.pdf/३३५

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Dohas 13-15] Ascent २७७ (१३) अनुवाद. बूँद बूँद में समाती है, यह सब कोई जानता है; पर बूँद शब्द में समाती है, इस को विरला ही कोई जानता है । (१४) अनुवाद. चारों ओर भरे हुए हरिरूप समुद्र में साधु का घट सीप है । उसमें (विन्दुरूप या नाम रूप ) मोती उत्पन्न होता हैं, जिसका मोल अन्य देशों में और अन्य द्वीपों में चढ़ता है | (१५) अनुवाद. गगन मण्डल में घर किया । रसाल शब्द बजने लगे रोम रोम दीपक हो गया और दीन दयाल प्रकट हो गए ।