पृष्ठ:परमार्थ-सोपान.pdf/३४७

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Dohas 31-33] Ascent २८९ (३१) अनुवाद. मुझ में मेरा कुछ भी नहीं है। जो कुछ है सब तेरा है । तेरा तुझे सुपुर्द करते मेरा क्या लगता है ? (३२) अनुवाद. तरुवर ( अपना ) फल नहीं खाते । सरोवर (अपना) पानी नहीं पीते । रहीम कहते हैं कि सुज्ञ लोग परोपकार के लिए ही सम्पत्ति का संचय करते हैं । (३३) अनुवाद. कबीर कहते हैं कि हमने गुरु रस पिया । अब इच्छा शेष नहीं रही । कुम्हार का कलश पक गया । अब चाक पर नहीं चढ़ेगा ।