पृष्ठ:परमार्थ-सोपान.pdf/३४६

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૨૮૮ परमार्थसोपान [Part Ii Ch. 5 31. ATTITUDE OF ABSOLUTE RESIGNATION TO GURU AS TO GOD. मेरा मुझ में कुछ नहीं, जो कुछ है सो तोर | तेरा तुझ को सौंपते, क्या लागत है मोर ॥ 32 SPIRITUAL ALTRUISM. तरुवर फल नहिं खात हैं, सरवर पियहिं न पान । कह रहीम पर काज हित, सम्पति संचहिं सुजान ॥ 33. I HAVE DRUNK THE CUP OF NECTAR TO THE VERY LAST DROP. कविरा हम गुरुरस पिया, बाकी रही न छाक | पाका कलस कुम्हार का, बहुरि न चढ़सी चाक ॥