पृष्ठ:परमार्थ-सोपान.pdf/३७४

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24 परमार्थसोपान - टिप्पणी [ Part I Chap. iii ७. मक्तेष्वधिकापूजा ८. सर्वभूतेषु मन्मतिः ९. तत्त्वविचारः माते सन्त अधिक करि लेखा; मोहिमय जग देखा; मम भरोल । Tulsidas may, indeed, be regarded as a literary incarnation of वाल्मीकि, By consideration of the different kinds of f enumerated by Tulsidas and Valmiki we might discover three developmental strands in the nature of भक्ति. (1) Moral virtues - अमान, दमशील विरति वहुकर्मा, यथालाभ सन्तोपा, परदोषादर्शन । ( 2 ) Service of Teacher - सन्तन कर संगा, गुरुपद पंकज सेवा, मोते सन्त अधिक करि लेखा । ( 3 ) Pursuit of God - ममगुणगणगान, रति मम कथा प्रसंगा, भजन सुवेद प्रकासा मंत्र जाप, मम भरोसा, मोहिमय जग देखा । The three strands may respectively be called in philosophic terminology: contributory, essential and effectual III CHAPTER 1 कत कस is another reading meaning कैसे. - = घर लाग्यो रङ्गु, लग गया है। राम झालें ॥ लावू जगीं ॥” उमङ्ग == 21 १) घर ही रंगने लगा है । २) घर ही में रंग cf. Marathi, “ मन गमी रंगलें । अवघे मनाचे and नाचू कीर्तनाचे रंगीं । ज्ञान दीप सुखदायक मनोवेग | 11 एक चोआ = लकड़ी, सामग्री, अक्षता इत्यादि: From चुआना सुगंधित द्रव पदार्थ जो अनेक सुगंधित द्रवों का रस टपकाने से तैयार होता है ।