पृष्ठ:परमार्थ-सोपान.pdf/४२३

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Padas 29-32 ] Ascent 31 जोबे (Potential ) = जलावे | 73 बावन कांचन द्वीप = (१) वाचन कसौटी के खरे सोने का दीप । cr. श्री निवरगी महाराज on the burning of maunds of camphor and the seeing of God. (२) वावन कांचन दीप | रोमै = ( Locative ) = रोम में, रोये में । cf. Kannada, ' रोमरोमके कोटिलिंग उदरिसिद | होमना = हवन करना । - Note: Compare Tukaram for a like and yet complementary idea :- " आतां कासयानें पूजा । करूं केशीराजा । हाचि सन्देह माझा । फेडि आतां ॥ गंधाचा सुगंध । पुष्पाचा परिमल । तेथे मी दुर्बल | काय वाहू ॥ गातां तो ओंकार | टाळी नादेश्वर । नाचावया थार । नाहीं कोठें ॥ तुका ह्मणे हरी । अव तुझें नाम । धूप दीप राम | कृष्ण हरी !! " 32 पावन = ( १ ) पवित्र करने वाला; ( २ ) Also, पवित्र । अघमोचन मेरा - Ironical. जो हम पाप करत नहि भूधर - cf. Umadi Maharaj : "ई शरीरके पातक हत्तिल्ल । " and contrast the words of | Christ on a sinless man as well as the follow- ing verse : 'पापोऽहं पापकर्माहिं पापात्मा पापसम्भवः । त्राहि मां कृपया देव सर्वपापहरो हर ॥ ' = पखारे परिहरिहा प्रक्षालन करे । = परिहार करोगे । 10