पृष्ठ:परमार्थ-सोपान.pdf/५२०

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22 (b) मुसाफिर सोता है वेहोस नैन में भरा नींद का रोप । -I. 1. 3. मुसाफिर here includes every one born on Earth. (c) समुझि न परति तिहारी ऊधो, ( कृष्ण ) 4. दृष्टांत हम व्रजनारि गँवार सूरदास धनि तुम्हरि कचेरी, अंधाधुंद दरवार | 10 -I. 1. 5. (a) जो रहीम उत्तम प्रकृति का कर सकत कुसंग चंदन विष व्यापत नहीं, लिपटे रहत भुजंग (b) जब लग अंग पंक नहिं पर सै, -. II. 2. 3. तौ जल कहा पखारै I जो हम पाप करत नहिं भूधर, तौ तू कहा नसावै ॥ 5. अर्थान्तरन्यास -- -I. 5. 35.. सामान्यं वा विशेषं वा यदन्येन समर्थ्यते । यत्र सोऽर्थान्तरन्यासः ॥ (a ) From general to particular : जाके प्रिय न राम- म- वैदेही तजिये ताहि कोटि वैरि सम जद्यपि परम सनेहा | तजेउ पिता प्रह्लाद, विभीषन बंधु, भरत महतारी । वलि गुरु तजेउ नाह व्रज वनितन्ह भे जग मङ्गलकारी ॥ I-2-7