पृष्ठ:परमार्थ-सोपान.pdf/७६

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परमार्थसोपान [ Part 1 Chi 9. SURDAS ON THE RAVAGES OF DEATH. जा दिन मन-पंछी उड़ि जैहै 11211 ता दिन तेरे तन-तरुवर के, सबै पात झर जैहैं या देही कौ गरव न करिए, स्यार काग गिध खैह ॥ १ ॥ 11311. तीननि मैं तन के विष्ठा कृमि, कै है खाक उड़े हैं ॥३॥ कह वह नीर, कहाँ वह सोभा, कहँ रंग-रूप दिखे हैं 11811 जिन लोगन सों नेह करत हौ, तेई देखि घिने हैं 114 11 घरके कहत सवारे काढौ, भूत होइ धरि हैं 11 & 11 जिन पुत्रन्हि बहुत प्रतिपाल्यो, देवी देव मनें हैं ॥७॥ तेई लै खोपरी बांस दे सीस फोरि बिखरे हैं ॥ ८ ॥ अजहूँ मूढ़ करहु सतसंगति, सन्तन में कछु हैं 11 8 11 नर वपु धारि भजत नहिं हरि कौं, जम की मार सो खै हैं 112011 सूरदास भगवन्त भजन विनु, वृथा सुजनम गँव हैं ॥११॥