पृष्ठ:परमार्थ-सोपान.pdf/९६

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३८ परमार्थसोपान | Part I Ch. 2 4. A SPIRITUAL FAKIR. मन लागो यार फकीरी में ॥ टे ॥ जो सुख पावो राम भजन में, सो सुख नाहिं अमीरी में ॥ १ ॥ मला बुरा सब को सुनि लीजै, करि गुजरान गरीवी में 112 11 प्रेमनगर में रहनि हमारी, भलि बनि आई सबूरी में ॥ ३ ॥ हाथ में कँडी, बगल में सोंटा, चारों दिसा जगीरी में 11811 आखिर यह तन खाक मिलेगा, कहा फिरत मगरूरी में ॥५॥ कहत कबीर सुनो भाई साधो, साहब मिलै सबूरी में 11 & 11