पृष्ठ:परमार्थ-सोपान.pdf/९९

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Pada 5] Moral Preparation શું (५) अनुवाद. ब्राह्मण वह है जो ब्रह्म को पहिचानता है । जो बाहर दौड़ने वाली पाँचों इन्द्रियों को वश में कर अन्दर लाता है । झूठ नहीं बोलता | अंतःकरण में दया-रूपी जनेऊ पहनता है । आत्मविद्या स्वयं पढ़ता और अन्यों को पढ़ाता है । परमात्मा में ध्यान लगाता है । काम, क्रोध, मद और लोभ उस में नहीं होते । चरणदास कहते हैं, (जो इन सब गुणों से युक्त है ) वही ब्राह्मण है ।