पृष्ठ:परमार्थ-सोपान.pdf/९८

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४० परमार्थसोपान [ Part I Ch. 2 5. THE MORAL AND SPIRITUAL REQUIREMENTS OF BRAHMINHOOD. ब्राह्मण सो जो ब्रह्म पिछाने । बाहर जाता भीतर आनै ॥ १ ॥ पांचों बस करि, झूठ न भाख, दया जनेऊ अन्तर राखै ॥ २ ॥ आतमविद्या पढ़ें पढ़ावै, परमातम में ध्यान लगावै ॥ ३ ॥ काम क्रोध मन लोभ न होई, चरनदास कहै ब्राह्मण सोई ॥ ४ ॥