पृष्ठ:परिवार, निजी सम्पत्ति और राज्य की उत्पत्ति.djvu/११२

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से अपील करता है। वे विरादरी की परिपद् बुलाते हैं और फिर मिलकर दूसरी विरादरी से सामूहिक रूप मे बातचीत शुरू करते है और उससे कहते है कि मामले को निपटाने के लिये वह भी अपनी परिपद् वुलाये। यहा भी बिरादरी अपने शुरू के, यानी मूल गोन के, रूप में सामने प्राती है, और चूकि वह अपनी सन्तान से, यानी प्रलग-अलग गोलों से अधिक शक्तिशाली होती है, इसलिये ऐसे मामलो में उसके सफल होने की अधिक सम्भावना होती है। (४) किसी बिरादरी के महत्त्वपूर्ण व्यक्तियो के मर जाने पर, दूसरी बिरादरी प्रतिम रिया और दफनाने आदि की व्यवस्था करती है और मृत व्यक्ति की बिरादरी के लोग मातम मनानेवालो के रूप मे साथ जाते है । यदि कोई सालेम मर जाता है तो उसकी बिरादरी नही, दूसरी बिरादरी इरोक्वा महापरिपद् को सूचना देती है कि अमुक पद खाली हो गया है। (५) साखेम के चुनाव के समय विरादरी की परिपद् फिर सामने आती है। भ्रात-गोन द्वारा चुनाव को मजूरी मानी हुई यात समझी जाती है पर हो सकता है कि दूसरी बिरादरी के गोत्र विरोध करें। ऐसी सूरत में इस बिरादरी की परिषद् बैठती है और यदि वह भी चुनाव को अस्वीकार करती है, तो चुनाव रद्द घोपित कर दिया जाता है। (६) पहले इरोक्वा लोगो मे कुछ विशेप गुप्त धार्मिक अनुष्ठान हुआ करते थे जिन्हे गोरे लोग medicine-lodges कहते थे । सेनेका क़बीले मे ये अनुष्ठान दो धार्मिक मंडलियां किया करती थी; प्रत्येक बिरादरी के लिये एक अलग मडली होती थी, और नये सदस्यो को उनमे भर्ती करने के लिये उनका विधिपूर्वक संस्कार किया जाता था। (७) यदि, जैसा कि लगभग निश्चित है, विजय के समय1 लासकाला के चारो भागों में जो चार वश ( रक्तसम्बद्ध समुदाय ) रहते थे, वे चार बिरादरियां थे, तो साबित हो जाता है कि यूनानियों की तरह और जर्मनो के बीच रक्त-सम्बन्धियो के समान समुदायों की भांति , यहा भी बिरादरियां सैनिक टुकड़ियों के रूप में भी काम करती थी। ये चारो वश जब लड़ने जाते थे, तो हर एक अलग सेना के रूप में चलता था और उसकी अपनी अलग वर्दी, अलग झंडा और अलग नेता होता था। जिस प्रकार कई गोत्रों से मिलकर एक विरादरी बनती है, उसी प्रकार ठेठ रूप में, कई बिरादरियों से मिलकर एक कबीला बनता है। कई क़बीलों . ११४