यूनानी गोत्र . यूनानी, पोर पेलासजियन तथा उसी कबीले से उत्पन्न अन्य जन-जातिया प्रागैतिहासिक काल से उसी क्रम में संगठित थी जिसमे अमरीकी इंडियन संगठित थे : वे भी गोत्र , विरादरी, क़बीले और कबीलो के महासघ मे संगठित थे। सम्भव था कि कही विरादरी न हो, जैसे डोरियनो में नही थी, या हर जगह कबीलों का महासंघ पूरी तरह विकसित न हुआ हो, परन्तु समाज की इकाई हर जगह गोत्र था। जिस समय यूनानियों ने इतिहास मे प्रवेश किया, उस समय वे सभ्यता के द्वार पर खड़े थे। यूनानियो और उपरोक्त अमरीकी क़वीलों के बीच विकास के लगभग दो पूरे बड़े युग पड़ते थे, क्योकि वीर-काल के यूनानी इरोक्वा लोगो से इतने ही आगे थे। इस कारण यूनानी गोनो का वह प्रादिम रूप नही रह गया था जो हम इरोक्वा गोतो मे देखते है। यूथ-विवाह की छाप काफी धुधली पड़ती जा रही थी। मातृ-सत्ता की जगह पितृ-सत्ता स्थापित हो गयी थी ; उसके कारण नयी बढ़ती हुई निजी धन-सम्पदा ने गोत्र-संघटन मे पहली दरार डाल दी थी। पहली दरार के बाद स्वभावत. दूसरी दरार पड़ी : पितृ-सत्ता के कायम हो जाने के बाद प्रचुर धन की उत्तराधिकारिणी की सम्पदा, उनके विवाह-सम्बन्ध के कारण, उसके पति को ही मिलती, अर्थात् वह अन्य गोत्र में चली जाती। इस तरह समस्त गोत्रीय कानून का आधार भग कर दिया गया और ऐसी सूरत मे लड़की को न सिर्फ अपने गोत्र के भीतर विवाह करने की इजाजत दे दी गयी, बल्कि उसके लिये ऐसा करना अनिवार्य बना दिया गया, ताकि यह सम्पदा गोत्र के भीतर ही रहे। १२६
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