जिसका मतलब यह है कि उसके गोत्र ( क्विंक्टीलिया गोन ) का उम कान में भी अपना अलग कब्रगाह था। ३. गोत्र के सदस्य मिल-जुलकर धार्मिक अनुष्ठान और समारोह करते थे। ये sacra gentilitia* काफी विख्यात है। ४. गोत्र के सदस्य गोत्र के भीतर विवाह नही कर सकते थे। रोम मे इस प्रतिबंध ने कभी लिखित कानून का तो रूप नही प्राप्त किया, पर एक प्रथा के रूप मे लोग उसे मानते रहे। रोम के असंख्य विवाहित जोडों के नामो मे जिन्हे आज हम जानते है , एक भी जोडा ऐसा नहीं है जिसमें पति और पत्नी दोनो के गोत्र का नाम एक हो । विरासत के नियम मे भी यही बात सिद्ध होती है। विवाह हो जाने पर स्त्री "एग्नेटों" के अधिकार से वंचित हो जाती थी, अपने गोत्र से अलग हो जाती थी, और उसका या उसके बच्चों का उसके पिता अथवा पिता के भाइयों की मम्पति पर कोई अधिकार नहीं रहता था। कारण कि यदि ऐसी व्यवस्था न होती तो उसके पिता के गोत्र की सम्पत्ति गोत्र के बाहर चली जाती। जाहिर है कि इस नियम मे केवल उसी हालत में कोई तुक हो सकती है जब हम यह मानकर चलें कि स्त्री को स्वयं अपने गोत्र के किसी सदस्य से विवाह करने की इजाजत नहीं थी। ५. गोत्र का जमीन पर सम्मिलित स्वामित्व होता था। प्रादिम काल में , जब तक कवीले की जमीनों का विभाजन शुरू नहीं हुमा था , मदा यही नियम पा। लैटिन कबीलो में हम पाते है कि जमीन पर कुछ हद तक कवील का म्वामित्व था, कुछ हद तक गोत्र का और कुछ हद तक अलग-अलग युटुम्बी फा, जो जाहिर है कि उग ममय एक परिवार मात्र नहीं हो गरते थे। कहा जाता है कि मवसे पहले रोमतग ने अलग-अलग व्यक्तियों को वरीय एक-एक हेक्टर (दो जुगेर) फी मादमी के हिमाय से उमीन याटी थी। लेकिन इसके बाद भी हम पाते है कि कुछ जमीन गोत्र के पाग रही। राजकीय भूमि की बात तो अलग ही है जिगको मेकर रोमन गणराग्य का गारा अन्दरूनी इतिहाग वनता-विगाहना रहा । ६. गोत्रों के मदम्यो पा पतंय होता था कि ये पर दूसरे को महायता पोर रवा करें। निगिन इतिहास में इस नियम के कुछ ने-गिने पवर्गप . गौम के धामिर पनुष्ठान ।-२० 1५६
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