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पृष्ठ:परिवार, निजी सम्पत्ति और राज्य की उत्पत्ति.djvu/१६८

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पुरुष सात साल तक साथ रह चुके होते थे, तो उन्हें विवाह की रस्म पूरी हुए बिना भी पति-पत्नी समझा जाता था। विवाह के पहले लड़कियो के कौमार्य बनाये रखने के बारे में कोई खास सख्ती नही वरती जाती थी, और न इसकी माग की जाती थी। इस मामले से सम्बन्ध रखनेवाले नियम वहुत ही हल्के ढंग के है और पूजीवादी नैतिकता के विपरीत है। यदि कोई स्त्री व्यभिचार करती थी तो उसके पति को उसे पीटने का हक होता था। जिन तीन सूरतो में पत्नी को पीटने पर भी पति दंड का भागी नही समझा होता था, उनमे से एक यह थी। परन्तु पत्नी को पीटने के बाद पति और किसी तरह की क्षतिपूर्ति की माग नही कर सकता था, क्योकि "किसी अपराध का या तो प्रायश्चित्त हो सकता है, या उसका बदला लिया जा सकता है, पर दोनों चौथे एकसाथ नही हो सकती।"1" जिन कारणो से स्त्री बंटवारे में अपने अधिकारों को अक्षुण्ण रखती हुई पुरुष को तलाक दे सकती थी वे अत्यन्त भिन्न प्रकार के होते थे- पुरुप मुह से बदबू पाना भी तलाक देने के लिये पर्याप्त कारण समझा जाता था। कानून में मुग्रावजे की उस रकम का महत्त्वपूर्ण स्थान था जो पहली रात के हक के लिये कबीले के मुखिया या राजा को देनी पड़ती थी ( इस हक को gobr merch कहते थे, जिससे मध्ययुगीन शब्द marcheta और फासीसी शब्द marquette निकले हैं)। स्त्रियों को जन-सभामो में वोट देने का अधिकार था। इस सब के साथ-साथ यदि हम इन बाती पर भी विचार करे कि आयरलैंड में भी इसी प्रकार की हालत पायी जाती थी। वहा भी अस्थायी विवाहों का चलन था और तलाक के समय स्त्री को सुनिश्वित विशेषाधिकार तया विशेष सुविधाएं मिलती थी, यहां तक कि उमे घरेलू काम का भी मुप्रायजा मिलता था; अन्य पलियो के माय एक "बड़ी पत्नी" भी होती थी और किसी मृत व्यक्ति को मम्पत्ति बाटने के ममय उसकी वैध तया प्रबंध सन्तानो में कोई भेद नहीं किया जाता था,- यदि हम इन तमाम बातों को ध्यान में रखें तो हमारे गामने युग्म- विवाह का एक ऐमा चित्र उपस्थित होता है जिसकी तुलना में उत्तरी अमरीश में प्रचलित विवाह पद्धति कठोर मालूम पड़ती है। परन्तु गीजर के गमय जो जाति यूय-विवाह की भवस्या में रहती थी, वह यदि ग्यारहवी गदी में युग्म-विवाह की अवस्था में हो तो यह कोई मारवर्य की बात नहीं है। १७०