येती प्राचीन काल में सदा उत्पादन को निर्णायक शाया रही है जो प्रव और भी निर्णायक हो गयी थी। गणराज्य के अंत के समय से ही जो बड़ी-बड़ी जागीरे (latifundia) इटली की, लगभग पूरी भूमि पर फैली हुई थी, उनका दो तरह से इस्तेमाल किया जाता था : या तो चरागाहो के रूप में, जिन पर मनुष्यो का स्थान भेडो मौर गाय-बैलो ने ले लिया था और जिनकी देखभाल के लिये चंद दास काफी होते थे; या ऐसी जागीरो के रूप में जिन पर बड़ी संख्या में दासो की सहायता से बड़े पैमाने पर बागवानी की जाती थी। इन यगोचों की उपज कुछ हद तक तो उनके मालिको के ऐश-आराम के काम मे पाती थी और कुछ हद तक शहरी बाजारों में बेच दी जाती थी। बड़े-बड़े चरागाहों को कायम रखा गया था और उनका कुछ विस्तार भी किया गया था। परन्तु बड़ी-बड़ी जागोरे और उनके बगीचे उनके मालिकों के गरीब हो जाने तथा शहरी के ह्रास के परिणामस्वरूप वरवाद हो गये। दास श्रम पर खड़ी बड़ी-बड़ी जागीरो की व्यवस्था अब लाभप्रद नही रह गयी थी, परन्तु उस समय बड़े पैमाने की खेती केवल इसी ढंग से हो सकती थी। इसलिये फिर से केवल छोटे पैमाने की खेती ही लाभप्रद रह गयी। एक के बाद एक जागीरें बंटने लगी और या तो छोटे-छोटे टुकड़ो मे पुश्तैनी काश्तकारो को, जो एक निश्चित तगान देते थे, दे दी गयी, या partiarii* को दे दी गयीं, जिन्हे काश्तकार न कहकर फ़ार्म मैनेजर कहना ज्यादा सही होगा। इन लोगों को अपनी मेहनत के बदले में साल भर की उपज का केवल छठा या नवा हिस्सा ही मिलता था। मगर इनसे भी ज्यादा बड़ी संख्या में ये छोटे-छोटे खैत coloni को दे दिये गये जो मालिक को हर साल एक निश्चित रकम देते थे। वे जमीन से बंधे हुए थे और खेतो के साथ बेचे जा सकते थे। लोग दास नही थे, पर साथ ही स्वतंत्र नागरिक भी नहीं थे। उन्हें स्वतंत्र नागरिको के साथ विवाह की इजाजत नहीं थी और यदि वे आपस मे विवाह करते थे तो वह भी कानूनी नहीं माना जाता था, बल्कि जैसा कि दासों में होता था, विवाह की हैसियत रखैलपन (contubernium) की होती थी। ये लोग मध्य युग के भूदासो के पूर्ववर्ती थे। प्राचीन काल की दास-प्रया पुरानी पड़ गयी। न तो उससे देहात में उस - हिस्सेदार ।-सं० १९२
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