राज्य हो हो सकता था। इसलिये गोत्र-संघटन के निकायों को राज्य के निकायों में बदलना पड़ा और परिस्थितियो के दवाव के कारण यह काम बहुत जल्दी मे करना पड़ा। परन्तु विजेता जाति का पहला प्रतिनिधि सेनानायक था। जीते हुए प्रदेश की घरेलू और बाहरी सुरक्षा का तकाज़ा था कि उसके अधिकारों को बढ़ाया जाये। सैनिक नेतृत्व को वादशाही में वदल देने का समय आ गया था। यह कर भी दिया गया। फ्रैंक लोगों के राज्य को लीजिये। यहां न केवल रोमन राज्य के विशाल इलाके विजयी सालियन जाति को एकच्छन्न अधिकार मे मिल गये थे, बल्कि ऐसे भी सभी बडे भूखड, विशेषकर सभी बड़े जंगल, उनके हाथ मे आ गये थे, जो बड़े या छोटे gau (जिला ) अथवा मार्क-समुदायो के बीच नही वाटे गये थे। फ़क लोगो के राजा ने, जो साधारण सेनानायक से वास्तविक राजा में परिवर्तित हो गया था, पहला काम यह किया कि जनता की इस सम्पत्ति को शाही सम्पत्ति बना डाला , इस जमीन को जनता से चुरा लिया और अपने निजी सैन्य दल को इनाम या भेंट के तौर पर दे दिया। उसके निजी सैन्य दल की, जिसमे पहले केवल निजी सैन्य अनचर तथा सेना के बाकी तमाम उपनायक हुआ करते थे, बाद में संख्या बहुत बढ गयो। उनमे न केवल रोमन लोग , यानी गाल प्रदेश के वे निवासी शामिल हो गये जो रोमन बन गये थे, और जो लिखने की कला जानने , शिक्षित होने और देश के कानूनो के साथ-साथ बोल-चाल की रोमानी भाषा तथा साहित्यिक तैटिन की भी जानकारी रखने के कारण राजा के लिये बहुत जल्द ही नितात आवश्यक बन गये थे; वल्कि उनमे दाम, भूदाम तथा मुक्त दास भी शामिल हो गयै । ये मब राजा के दरबारी थे, जिनमे से वह अपने कृपापात्रो को चुनता था। इन तमाम लोगों को मार्वजनिक भूमि के खंड शुरू मे इनाम के रूप में, और बाद को अग्रहार ("बेनीफिम") के रूप में दे दिये गये जो प्रारम्भ में अधिकतर प्रायः राजा के जीवन-काल के लिये मिलते थे। इस प्रकार जनता की कीमत पर एक नये अभिजान वर्ग का प्राधार तैयार हुआ। परन्तु बात यही पर खतम नही हुई। उम लम्बे चौडे दूर-दूर तक फैले माग्राज्य पर पुराने गोव-विधान द्वारा शामन नहीं किया जा माना था। मपियानो की परिपद् , यदि वह बहुत दिन पहले ही लुप्तप्रयोग नहीं हो गयी हो, तो भी, अब नहीं वैट मकती थी और शीघ्र ही राजा के स्थायी 133 १६६
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