ही, इरोक्वा लोगों के बारे में अपने पत्रों में (जोकि American Review में प्रकाशित हुए थे), और १८५१ मे 'इरोक्वा संघ नामक अपनी पुस्तक में बता चुके थे कि इस कबीले में भी यह प्रथा मौजूद थी, और उन्होंने इस प्रथा का बिलकुल मही वर्णन दिया था। इसके मुकाबले में, जैसा हम आगे चलकर देखेंगे, बालोफेन की रहस्यवादी कल्पनाप्रो ने मातृ-सत्ता के मामले मे जितनी उलझन पैदा की थी, उससे कही अधिक उलझन मैक-लेनन की वकीलों जैसी मनोवृत्ति ने इस प्रथा के विषय में पैदा कर दी। मैक-लेनन को इस बात का भी श्रेय है कि उन्होने इस बात को पहचाना कि माताओं के जरिये वंश का पता चलाने की प्रथा ही मौलिक थी हालाकि, जैसा कि वाद में उन्होंने भी खुद स्वीकार किया, वाखोफेन उनसे पहले ही इस बात का पता लगा चुके थे। परन्तु इस मामले में भी उनका मत बहुत अस्पष्ट है। वह बराबर "स्त्रियों के जरिये ही रक्त- सम्बन्ध (kinship through famales only) की चर्चा करते रहते हैं और इस शब्दावली का, जो प्रारम्भिक अवस्था के लिये बिलकुल उपयुक्त थी, वह विकास की बाद की उन अवस्थाओं के लिये भी प्रयोग करते रहते है , जब वंश तथा विरासत का अधिकार तो अवश्य केवल स्त्री- परम्परा द्वारा निश्चित होता था, परन्तु रक्त-सम्बन्ध पुरुष-परम्परा द्वारा भी निश्चित होने और माना जाने लगा था। यह वकीलों जैसा एक संकुचित दृष्टिकोण है। वकील पहले अपने उपयोग के लिये एक बे-लचक मानूनी परिभाषा बनाता है , और फिर उसे बिना बदले उन परिस्थितियों पर भी लागू करता जाता है जो इस बीच में बदल गयी है, और जिन पर यह परिभाषा लागू नहीं हो सकती। मैकन्लेनन का सिद्धान्त ऊपर से देखने में विश्वाम करने योग्य मालूम पड़ने पर भी लगता है कि पुद लेखक को भी वह एकदम पक्के माधार पर पडा नहीं जंचता । कम से कम , वह खुद इस बात को देवार चकित है: 11 1 'मपहरण (दिघावटी) की प्रया मवसे अधिक स्पष्ट पोर प्रभावशाली प मे उन्ही जातियो में देगी जाती है, जिनमें पुष्प के जरिये रक्तः गम्बन्ध निश्चित होता है (यानी जिनमे पुरप-परम्परा कायम है।)" (१० १४०) २०
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