बना देता है कि वे बड़ी संख्या में उत्पादन में भाग ले सकें , बल्कि जिसके लिए स्त्रियो को उत्पादन में खीचना भी जरूरी होता है, और इसके अलावा जिसमें घर के निजी काम-काज को भी एक सार्वजनिक उद्योग बना देने की प्रवृत्ति होती है। जव घर के अंदर पुरुष की सचमुच प्रभुता कायम हो गयी, तो उसकी तानाशाही कायम होने के रास्ते में जो आखिरी बाधा थी, वह भी ख़त्म हो गयी। मातृ-सत्ता के नाश , पितृ-सत्ता की स्थापना और युग्म-परिवार के धीरे-धीरे एकनिष्ठ विवाह की प्रथा में सक्रमण से इस तानाशाही की परिपुष्टि हुई और वह स्थायी बनी । इससे पुरानी गोत्र-व्यवस्था में दरार पड़ गयी। एकनिष्ठ परिवार एक ताकत बन गया और गोत्र के अस्तित्व के लिये एक ख़तरा बन गया। अगला कदम हमे बर्वर युग की उन्नत अवस्था में ले आता है। यह वह अवस्था है जिसमे सभी सभ्य जातिया अपने वीर-काल से गुजरी है। यह लोहे की तलवार का युग है , पर साथ ही लोहे की फालवाले हल तथा लोहे की कुल्हाडी का भी युग है, जब लोहा मनुष्य का सेवक बन गया था। यदि हम पालू को छोड़ दें, तो लोहा उन सभी कच्चे मालो मे अन्तिम और सबसे महत्त्वपूर्ण है जिन्होंने इतिहास मे क्रान्तिकारी भूमिका अदा की है। लोहे के कारण पहले से बडे पैमाने पर खेत बनाकर फसल उगाना और लम्बे-चौडे जंगली इलाको को खेती के लिये साफ करना सम्भव हो गया । उससे दस्तकारो को इतने सख्त और तेज औजार मिल गये जिनके सामने न कोई पत्थर ठहर सकता था और न कोई अन्य ज्ञात धातु ही ठहर सकती थी। परन्तु यह सब धीरे-धीरे ही हुआ , शुरू मे जो लोहा तैयार हुआ था वह तो अक्सर कासे से भी नरम होता था। इस प्रकार पत्थर के बने मौजार धीरे-धीरे ही गायव हुए। हम न केवल 'हिल्डेब्राड के गीत' मे पत्थर की कुल्हाडियों को युद्ध में इस्तेमाल होते सुनते है , बल्कि हेस्टिंग्स की लड़ाई में भी, जो १०६६ में हुई थी, उनका प्रयोग होते देखते है। परन्तु अब प्रगति की धारा अबाध हो गयी, रकावटें पहले से कम हो गयी और गति पहले से तेज हो गयी। कबीले का या कबीलो के महासंघ का केन्द्रीय स्थान शहर बन गया, जिसकी बुर्जदार और मोखेदार चहारदीवारी के घेरे में पत्थर या इंटो बने मकान होते थे। यह शहर जहां वास्तुकला मे प्रगति का सूचक था, वही वह पहले से वढे हुए खतरे और उससे बचाव 139 14-410 २०६
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