जा सके, उसे "व्यवस्था" को सीमानों के भीतर रखा जा सके। यही शक्ति , जो ममाजे से पैदा होती है, पर जो ममाजोपरि स्थान ग्रहण कर लेती है, और उमसे अधिकाधिक अलग होती जाती है, राज्य है। पुराने गोत्र-संघटन से भिन्न, राज्य पहले तो अपनी प्रजा को प्रदेश के अनुसार बांट देता है। जैसा कि हम देख चुके है , रक्त-सम्बन्ध के प्राधार पर बनी और संयुक्त गोत्र-मंस्थाएं अधिकतर अपर्याप्त हो गयी यो क्योकि वे यह मानकर चलती थी कि उनके मदस्य एक विशेष प्रदेश से बधे है, गोकि यह नाता बहुत दिन हुए टूट गया था। प्रदेश अब भी था, पर लोग गतिशील हो गये थे। इसलिये पहला कदम जो उठाया गया वह था प्रदेशानुसार विभाजन और नागरिको को, गोत्र और कबीले का लिहाज किये बिना - जहां कही वे वसे हो, वही - अपने सार्वजनिक कर्तव्यों य अधिकारों का प्रयोग करने की इजाजत दे दी गयी। नागरिको का यह प्रदेशानुसार संघटन एक ऐसी विशेषता है जो सभी राज्यो में समान रूप मे पायो जाती है। इसी लिये वह हमें स्वाभाविक मालूम पड़ता है; परन्तु हम देख चके है कि एथेंस और रोम मे कितने लम्बे और कठिन संघर्ष के बाद वह गोनो पर आधारित पुराने संघटन का स्थान ले सका था। दूसरा विभेदक लक्षण यह है कि एक सार्वजनिक सता की स्थापना को जाती है , जिसका एक सशस्त्र शक्ति के रूप में अपने को स्यमं संगठित करनेवाली जनता से सीधे-सीधे मेल नही रह जाता। यह विशिष्ट सार्वजनिक मत्ता इसलिए आवश्यक हो जाती है कि समाज के वर्गों में घट जाने के याद मावादी का स्वतःकार्यकारी मशस्त्र संघटन मसम्भय हो जाता है। दाम भी भावादी के एक भाग थे; एथेस के ६०,००० नागरिक ३,६५,००० दासों के मुकाबले में एक विशेषाधिकारप्राप्त यगं मान थे। एपेंग के सोपसंत को जन-सेना वास्तव में दासो के विरुद्ध अभिजात वर्ग की सागंजनिक गया थो, जो दासो को नियंत्रण में रगती थी। सेगिन उगमे साप-ताप, पैसा कि हम ऊपर बता चुके है , नागरिको को निगाण में रणने के तिमे पुमिग मी भावश्यक हो गयी थी। यह सार्वजनिक गया हर ग से होती है। उमने केवल हथियारबन्द सोग ही नही , यति बेलगाने तथा विभिन्न प्रकार की दमनकारी संस्थाएं, मादि मोतिर गाधन भी mमिल होने, किरा गोत्र-गमाज में निगान तक न था। जिन गानों में वर्ग-atm भी पता परिसित प्रवस्था में है और जो गा दूर यी कामे गे मो. २१६
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