पृष्ठ:परिवार, निजी सम्पत्ति और राज्य की उत्पत्ति.djvu/२२२

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

1 दिपायी देती है। तिम पर भी सम्पत्ति के भेदों की राजनीतिक मान्यता अनिवार्य किसी भी प्रकार नहीं है : इगो विपरीत , वह राज्य के विकास के निम्न स्तर को द्योतक है। राज्य का सबसे ऊंचा रूप, यानी जनवादी जनतन्त्र , जो समाज की प्राधुनिक परिस्थितियों में अनिवार्यतः पावश्यक बनता जा रहा है और जो राज्य का यह एकमात्र रूप है जिसमें ही सर्वहारा तथा पूजीपति वर्ग का अन्तिम और निर्णायक संघर्प लड़ा जा सकता है- यह जनवादी जनतंव प्रौपचारिक रूप से सम्पत्ति के अन्तर का कोई प्रयाल नहीं करता। उममें दौलत अप्रत्यक्ष रूप से, पर और भी ज्यादा कारगर ढंग से , अपना असर डालती है। एक तो दौलत सीधे-सीधे राज्य के अधिकारियों को भ्रष्ट करती है, जिसका सबसे अच्छा उदाहरण अमरीका है। दूसरे, सरकार तथा स्टॉक एक्सचेंज के बीच गठबंधन हो जाता है । जितना ही सार्वजनिक कर्जा वढता जाता है और जितनी ही अधिक ज्वाइंट स्टॉक कम्पनिया स्टॉक एक्सचेंज को अपने केन्द्र के रूप में इस्तेमाल करते हुए न केवल यातायात को, बल्कि उत्पादन को भी अपने हाथ में केन्द्रित करती जाती है , उतनी ही अधिक आसानी से यह गठबंधन होता जाता है । अमरीका और उसी तरह नवीनतम फासीसी जनतंत्र इसके ज्वलत उदाहरण है और किसी जमाने में स्विट्जरलैंड ने भी इस क्षेत्र मे काफी मार्के की कामयाबी हासिल की है। परन्तु सरकार तथा स्टॉक एक्सचेज में यह बधुत्व- पूर्ण गठबंधन स्थापित करने के लिये जनवादी जनतंत्र आवश्यक नहीं है। इसके प्रमाण मे इंगलैंड और नवीन जर्मन साम्राज्य की मिसाल दी जा सकती है, जहा कोई नही कह सकता कि सार्विक मताधिकार लागू करने से किसका स्थान अधिक ऊंचा हुआ है -बिस्मार्क का या ब्लाइज़रोडर का। अन्तिम बात यह है कि मिल्की वर्ग सार्विक मताधिकार के द्वारा सीधे शासन करता है। जब तक कि उत्पीडित वर्ग, यानी आजकल सर्वहारा वर्ग, इतना परिपक्व नहीं हो जाता कि अपने को स्वतन्न करने के योग्य हो जाये , तब तक उसका अधिकांश भाग वर्तमान सामाजिक व्यवस्था को ही एकमात्र सम्भव व्यवस्था समझता रहेगा और इसलिये वह राजनीतिक रूप से पूजीपति वर्ग का दुमछल्ला , उसका उग्र वामपक्ष बना रहेगा। लेकिन जिस हद तक यह वर्ग परिपक्व होकर स्वयं अपने को मुक्त करने के योग्य बनता जाता है, उसी हद तक वह अपने को खुद अपनी पार्टी के रूप में सगठित करता है, और पूजीपतियों के नहीं, बल्कि खुद अपने प्रतिनिधि चुनता २२२