पृष्ठ:परिवार, निजी सम्पत्ति और राज्य की उत्पत्ति.djvu/२३१

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10 'सभ्यता के आने के बाद से सम्पत्ति इतने विशाल पैमाने पर बढ़ी है, उसके इतने विविध रूप हो गये है, उसके इस्तेमाल के ढंग इतने अधिक हो गये है और उसका प्रबंध उसके मालिक अपने हित मे इतनी बुद्धिमानी से करने लगे है कि वह जनता के लिये एक दुद्धपं शक्ति बन गयी है। खुद अपनी कृति के सामने आज मानव मस्तिष्क हतबुद्धि-सा खड़ा है। परन्तु एक दिन वह समय आयेगा जब मानव वुद्धि सम्पत्ति को अपने वश में करने में सफल होगी और जिस सम्पत्ति की राज्य रक्षा करता है, उसके साथ राज्य के सम्बन्ध को निरूपित करने में तथा उसके मालिको के कर्तव्यों को और उनके अधिकारों को सीमानों को निश्चित करने में कामयाब होगी। समाज के हित व्यक्ति के हितो से ऊंचे है और इन दोनों के बीच न्यायोचित एवं सामंजस्यपूर्ण सम्बन्ध स्थापित करना आवश्यक है। यदि भूत काल की तरह भविष्य काल का भी नियम प्रगति का होना है, तो केवल साम्पतिक जीवन ही मानवजाति का अन्तिम भविष्य नहीं हो सकता। जब से सभ्यता प्रारम्भ हुई है, तब से जो समय गुजरा है, वह मनुष्य के पिछले इतिहास का एक छोटा-सा टुकड़ा भर है और वह आनेवाले युगों का भी एक छोटा-सा टुकड़ा ही है। सम्पत्ति बटोरना ही जिस का लक्ष्य और ध्येय है, उसका अन्त समाज के विघटन में होना है, क्योकि ऐसा जीवन अपने विनाश के तत्त्वों को अपने अन्दर छिपाये रहता है। शामन में लोकतंत्र , समाज में भ्रातृत्व , समान अधिकार तथा सार्वजनिक शिक्षा समाज की अगली, उच्चतर अवस्था के पूर्वसूचक हैं, जिसकी ओर अनुभव, बुद्धि और ज्ञान लगातार ले जा रहे है । यह प्राचीन गोत्रों को स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व का पहले से उच्चतर रूप में पुनर्जन्म होगा।" ( मौर्गन , 'प्राचीन समाज', पृष्ठ ५५२ 1 )16 मार्च के अंत-२६ मई, १८८४, में लिखित । अलग किताब के रूप में १८८४ में जूरिच से प्रकाशित। हस्ताक्षर : फ्रेडरिक एंगेल्स १८६१ के चौथे जर्मन संस्करण के मूलपाठ के अनुसार मुद्रित । मूल जर्मन था। इसके अलावा उनकी रचनायो मे इम सत्य की भी गहरी समझ प्रकट होती है कि इस तरह के सभी समाजो मे, जो अपरिपूर्ण है और जो परस्पर विरोधी हितो से विदीर्ण है, अलग-अलग परिवार (les familles incohé- rentes) समाज की आर्थिक इकाई होते है। (एंगेल्स का नोट ) 5