. करता था। इस प्रस्थापना के साथ मैक-लेनन ने जो महल बनावटी ढंग से बनाकर खडा किया था, उसकी एक ईंट भी वाकी न रह गयी। परन्तु मोर्गन ने इससे ही सन्तोष मही किया। अमरीकी इंडियनों का गोत्र , उनके द्वारा अन्वेषण के इस क्षेत्र में दूसरा निर्णायक कदम उठाने का साधन भी बन गया। उन्होंने पता लगाया कि मातृ-सत्ता के आधार पर सगठित गोत्र वह प्रारम्भिक रूप था, जिससे ही बाद का, प्राचीन काल के सभ्य लोगो में पाया जानेवाला, पितृ सत्ता के आधार पर संगठित गोत्र विकसित हुआ। इस प्रकार यूनान तथा रोम के गोत्र , जो पहते के सभी इतिहासकारों के लिये पहेली बने हुए थे, अमरीकी इंडियनो में पाये जाने- वाले गोल के प्रकाश मे समझ में आ गये , और इस प्रकार आदिम समाज के पूरे इतिहास के लिये एक नया आधार प्रस्तुत हुग्रा। सभ्य जातियों के पितृसत्तात्मक गोत्र से पहले की अवस्था के रूप में आदिम मातृ-सत्तात्मक गोत्र के आविष्कार का प्रादिम समाज के इतिहास के लिये वही महत्त्व है जो जीवविज्ञान के लिये डार्विन के विकास के सिद्धान्त का, और राजनीतिक अर्थशास्त्र के लिये मार्क्स के अतिरिक्त मूल्य के सिद्धान्त का है। उसकी बदौलत मौर्गन पहली बार परिवार के इतिहास की एक ऐसी रूपरेखा तैयार करने में सफल हुए जिसमें कम से कम विकास की क्लासिकीय अवस्यायो को सामान्यतः अस्थायी रूप से, जहां तक उस समय उपलब्ध सामग्री को देखते हुए यह सम्भव था, निश्चित कर दिया गया है। जाहिर है, इससे आदिम समाज के इतिहास के अध्ययन में एक नये युग का श्रीगणेश हो जाता है। अव मातृ-सत्तात्मक गोत्र वह धुरी बन गया है जिसके चारो ओर यह पूरा विज्ञान धूमता है। इसका पता लगने के बाद से हमें इस बात का ज्ञान हो गया है कि हमे किस दिशा में खोज करनी चाहिये, किस चीज की खोज करनी चाहिये और खोज के परिणामो का वर्गीकरण किस प्रकार करना चाहिये । परिणामस्वरूप मौर्गन की पुस्तक के प्रकाशित होने के पहले की तुलना मे अब इस क्षेत्र मे बहुत तेज प्रगति होने लगी है। मोर्गन ने जिन बातों का पता लगाया है, उन्हे अब प्रागैतिहासिक काल का अध्ययन करनेवाले अंग्रेज विद्वान भी मानने लगे है, या यो कहिये कि उन्होंने उन्हें अपना लिया है। परन्तु उनमे से शायद ही कोई खुले आम यह माने कि हमारे दृष्टिकोण में जो क्रान्ति हो गयी है, उसका श्रेय मोर्गन - २५
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