. को प्राप्त है। इंगलंड मे उनको पुस्तक के बारे में यथासम्भव चुप्पी ही साधी गयी है , और पुद मोर्गन को बड़े दया भाव के माय उनकी पुरानी कृतियों की प्रशंसा करके निवटा दिया जाता है। उनकी व्याख्या की तफमीलों को बड़े चाव से लेकर उनकी समीक्षा की जाती है, पर उनकी जो सचमुच महती खोजें है उनके बारे में हटपूर्वक मौन धारण किया जाता है जो कभी टूटता नहीं है। 'प्राचीन समाज' का पहला संस्करण प्रय अप्राप्य है। अमरीका में इस तरह की किताबों के लिये लाभप्रद बाजार ही नहीं है। इंगलैंड मे, मालूम पड़ता है कि मोर्गन की किताब को बाकायदा दवाया गया है। और इस युगान्तरकारी रचना का एकमात्र संस्करण जो किताबों के बाजार में अब भी प्राप्य है, वह जर्मन अनुवाद में है। इस चुप्पी का आखिर क्या कारण है जिसे एक पड्यंन न समझना बहुत कठिन है-खास तौर पर इसलिये कि प्रागैतिहासिक काल के हमारे जाने-माने अध्ययनकर्ताओं की रचनाओं में केवल शिष्टाचार के नाते अन्य लेखकों के अनगिनत उद्धरण देने के आदी है और दूसरे तरीकों से भी सहयोगियो के प्रति भाईचारा जताते रहते है। क्या उनकी चुप्पी का कारण सम्भवतः यह है कि मौर्गन अमरीकी है, और प्रादिम इतिहास के अंग्रेज अध्ययनकर्तानो के लिये यह कष्टकर है कि उन्हे , वावजूद इसके कि सामग्री इकट्ठा करने मे उन्होंने इतना प्रशंसनीय श्रम किया है, इस सामग्री का वर्गीकरण करने तथा उसे व्यवस्थित रूप देने के वास्ते आवश्यक प्राम दृष्टिकोण के लिये बालोफेन और मौर्गन जैसे दो विदेशी विद्वानो का सहारा लेना पड़े? जर्मन तो फिर भी उनके गले से उतर सकता है, पर अमरीकी ! किसी अमरीकी का सामना होने पर तो हर अंग्रेज देशभक्ति की भावना मे बह जाता है। जब मै संयुक्त राज्य अमरीका में था, तो मुझे इसके कई बड़े मजेदार उदाहरण देखने को मिले थे। इसके साथ-साथ एक बात और है। वह यह कि मैक-लेनन को एक तरह से सरकारी तौर पर इंगलंड मे इतिहास की प्रागैतिहासिक शाखा का संस्थापक और नेता मान लिया गया था, और मैक-लेनन ने शिशु-हत्या से लेकर, और बहु-पति अपहरण-विवाह से होते हुए, मातृ-सत्तात्मक परिवार तक, परिवार के इतिहास का जो सिद्धान्त बनावटी ढंग से खड़ा किया था, इस क्षेत्र के विद्वानो के बीच उसकी अत्यन्त श्रद्धापूर्ण चर्चा एक तरह का रिवाज बन गयी थी। एक दूसरे से बिलकुल अलग और भिन्न, दो प्रकार के "कबीलों", यानी प्रथा तथा २६
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