. विश्लेपण मे , उनसे अनियंत्रित यौन-गम्बन्धो के एक युग का संकेत मिलना है , जो वही यग था जब पशु-अवस्या से मानव-अवस्था में संक्रमण हो रहा था। इसलिये , पशुप्रो में पाये जानेवाले यौन सम्बन्धो के रूपों का अध्ययन करने पर हम फिर उसी विन्दु पर लौट पाते है, जिस विन्दु से हमें यह अध्ययन अंतिम रूप से प्रागे बढानेवाला था। अस्तु , अनियनित यौन सम्बन्ध का क्या अर्थ है ? इसका अर्थ यह है कि आजकल यौन सम्बन्ध पर जो प्रतिबंध लगे हुए है , या जो पहले जमाने मे लगे हुए थे, वे तव नही थे। ईर्ष्या ने जो प्राचीर पड़ी की थी, उसको ढहते हुए हम देख चुके है। यदि कोई बात निश्चित है तो यह कि ईर्ष्या की भावना अपेक्षाकृत विलव से विकसित हुई। यही बात अगम्यागमन की धारणा पर लागू होती है। शुरू में न केवल भाई-यहन पति-पत्नी के रूप मे रहते थे, बल्कि अनेक जनो मे आज भी माता-पिता और उनकी सन्तानों के बीच यौन सम्बन्ध की इजाजत है। वैक्रोफ्ट ने ('उत्तरी अमरीका के प्रशान्त राज्यों की प्रादिवासी नस्ले', १८७५, खंड १4) बताया है कि वैरिग जलडमरूमध्य के कावियट लोगो मे, अलास्का के नजदीक रहनेवाले काडियक लोगों में, और ब्रिटिश उत्तरी अमरीका के अन्दरूनी प्रदेश मे रहनेवाले टिनेह लोगो में यह चीज़ अब भी पायी जाती है। लेतू! ने इसी प्रथा की रिपोर्ट चिप्पेवा कवीले के अमरीकी इडियनों, चिली के रहनेवाले कूकू लोगो, करीबियन लोगो और हिन्दचीन के कारेन लोगो के बारे में जमा की हैं। पार्थवो, फारसियो, शको और हूणो ,प्रादि के बारे में जो वर्णन प्राचीन यूनानियो तथा रोमन लोगो मे मिलते है , उनका तो ज़िक्र ही क्या। अगम्यागमन का आविष्कार होने के पहले (और है यह एक आविष्कार ही, और वह भी अत्यन्त मूल्यवान ), माता-पिता तथा उनकी सन्तान के बीच यौन सम्बन्ध दो अलग-अलग पीढ़ियो के अन्य व्यक्तियो के यौन सम्बन्ध से अधिक घृणास्पद नही हो सकता था। दो भिन्न पीढ़ियों के व्यक्तियो के बीच ऐसा यौन सम्बन्ध तो आज दकियानूसी से दकियानूसी देश मे भी पाया जाता है और लोग उस पर बहुत ज्यादा नाक-भौं नही सिकोड़ते । बल्कि सच तो यह है कि साठ वर्ष से ऊपर की बूढी "कुमारियां" तक कभी-कभी, यदि उनके पास काफी दौलत होती है, तो तीस वर्ष के करीब के नौजवानो से विवाह करती देखी जाती है। परिवार के उन सवसे आदिम रूपो से, जिनकी हमे जानकारी है, यदि हम अगम्यागमन की धारणाम्रो
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