पृष्ठ:परिवार, निजी सम्पत्ति और राज्य की उत्पत्ति.djvu/४६

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होते है। इस प्रकार, परिवार के इस रूप में, केवल पूर्वज और वंशज, यानी माता-पिता और उनके बच्चे ( हमारी प्राजकल की भाषा में) एक दूसरे के साथ विवाह के अधिकार तया जिम्मेदारियां ग्रहण नहीं कर सकते। मगे भाई-बहन , पास के और दूर के चचेरे, फुफेरे, ममेरे भाई-बहन , भव एक दूसरे के भाई-बहन होते है और ठीक इसी लिये वे सब एक दूसरे के पति-पली होते है। इस अवस्था मे, भाई-बहन के सम्बन्ध में यह बात शामिल है कि वे एक दूसरे के साथ हस्व मामूल संभोग करते है। ऐसे यह कथा &6 'आदिम - धेगनर की रचना 'निवेलुग' में यादिम काल का जो एकदम झूठा वर्णन दिया गया है, उसके बारे में मावसं ने एक पन में बहुत ही कड़े शब्दो मे अपना मत प्रकट किया है। यह पन उन्होंने १९८२ के वसन्त में लिखा था। "वधू के रूप में भाई अपनी बहन का आलिंगन करे, क्या किसी ने कभी सुनी है ?" - वैगनर के इन "विलासी देवतापों को", जो काफी आधुनिक ढंग से अपने प्रेम-व्यापार मे कौटुम्विक व्यभिचार का भी थोड़ा-सा पुट दिया करते थे, मार्क्स ने यह उत्तर दिया था: काल मे बहन ही पत्नी होती थी और उस समय यही मंतिक या।" (एंगेल्स का नोट।) वैगनर के एक फ्रांसीसी मित्र और प्रशंसक इस टिप्पणी से सहमत नहीं है। वह इस बात की ओर संकेत करते है कि प्राचीन 'एड्डा 129-'योगिस्द्रका' में , जिसे वैगनर ने अपने आदर्श के रूप में लिया था, लोकी इन शब्दो में फ़िया को उलाहना देता है : “तूने अपने भाई को देवताप्रो के सामने आलिंगन किया है।" उनका दावा है कि उस वक़्त तक भाई और बहन का विवाह वर्जित हो चुका था। 'प्रोगिस्द्रेका' काव्य उस काल का प्रतिबिम्ब है जवकि पौराणिक गाथानों में लोगो को जरा भी विश्वास नहीं रह गया था। वह देवताओं पर बिलकुल लूकियन नुमा व्यंग्य है। यदि लोकी मेफिस्टोफोलीस की तरह इस प्रकार प्रिया को उलाहना देता है, तो यह वात वैगनर के खिलाफ पड़ती है। इस काव्य मे थोड़ा और आगे न्योद से लोकी यह भी कहता है कि "अपनी बहन की कोख से तुमने (ऐसा) एक पुन पैदा किया " (vidh systur thinni gaztu slikan-mog)। अब न्योर्द आसा नहीं, बल्कि वाना गण का था और 'इंगलिंग वीर-गाथा' में वह कहता है कि वाना-देश में भाइयों और बहनो की शादियों का चलन था, लेकिन आसानो में ऐसी प्रथा नही थी। इससे यह प्रतीत होता है कि वाना गण आमा लोगो से अधिक पुराने देवता थे। वहरहाल, न्योद आसानो के बीच बराबरी के दर्जे पर रहता था और इसलिये 'ओगिस्द्रेका' से अमल मे तो यह सिद्ध होता है कि जिम समय नारवे में देवतायो को वीर-गाथामो