एक ठेठ परिवार में एक माता-पिता के वंशज होगे और फिर उनमें प्रत्येक पीढ़ी के ये वंशज , सब के सव, एक दूसरे के भाई-बहन होंगे और ठीक इसी कारण वे सब एक दूसरे के पति-पत्नी भी होगे । रक्तसम्बद्ध परिवार एकदम मिट गया है। असंस्कृत से असंस्कृत जातियों मे भी, जिनका इतिहास को ज्ञान है, परिवार के इस रूप का कोई ऐसा सबूत नहीं मिलता जिसकी जांच की जा सके। परन्तु हवाई द्वीपसमूह में पायी जानेवाली रक्त-सम्बद्धता की व्यवस्था, जो आज भी पोलिनेशिया के सभी द्वीपों में प्रचलित है, हमे इस निष्कर्ष पर पहुंचने को बाध्य कर देती है कि परिवार का यह रूप कभी' जरूर रहा होगा। उसमें रक्त-सम्बद्धता के ऐसे दर्जे मिलते है जो परिवार के इस रूप के अन्तर्गत ही उत्पन्न हो सकते है। और परिवार का पागे का विकास भी, जोकि इस रूप को एक आवश्यक प्रारम्भिक अवस्था मानकर ही चलता है, हमें इस नतीजे पर पहुंचने को मजबूर करता है। २. पुनालुमान परिवार। यदि परिवार के संगठन मे प्रगति का पहला कदम यह था कि माता-पिता और सन्तान को पारस्परिक यौन सम्बन्धों से अलग कर दिया गया तो उसका दूसरा कदम यह था कि भाइयो और बहनों को भी अलग कर दिया गया। चूकि भाई-बहन की आयु अधिक समान होती थी, इसलिये उन्हे अलग करना पहले कदम से कहीं अधिक महत्त्वपूर्ण और साथ ही अधिक कठिन भी था। यह कदम धीरे-धीरे ही उठाया गया था। पहले शायद सगे भाइयों और बहनों (एक ही मां की संतान ) के यौन-सम्बन्ध पर रोक लगायी गयी होगी। वह भी शुरू में सिर्फ 'इक्के-दुक्के मामलो मे लगी होगी, और बाद में यह नियम बन गया होगा ( हवाई में वर्तमान शताब्दी तक इस नियम के अपवाद मौजूद थे)। और अन्त मे, बढते-चढते. रिश्ते के भाई-बहनों के . या, हमारी आजकल , की सृष्टि हुई, उस समय भाइयों और बहनों का विवाह , कम से कम देवताओं मे, बुरा नहीं माना जाता था। यदि वैगनर के लिये मफाई ही देनी है तो शायद 'एड्डा' काव्य के बजाय गेटे का साक्ष्य देना बेहतर होगा, क्योकि मेटे ने अपने स्त्रियों के धार्मिक आत्मसमर्पण के बारे में ऐसी ही गलती की है और उसको प्राधुनिक वेश्यावृत्ति से बहुत ज्यादा मिला दिया है। (चौथे संस्करण में एंगेल्स का नोट ) ४६
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