नहीं करती। जिन कारणों से समाज में स्त्रियों की स्थिति निर्धारित होती है, और जिन कारणों से स्त्रियों और पुरुषों के बीच श्रम-विभाजन होता है, वे बिलकुल अलग-अलग है। वे लोग, जिनकी स्त्रियों को उससे कहीं ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है, जितनी हम उचित समझते है, अक्सर स्त्रियो का यूरोपवासियों से कहीं अधिक सच्चा आदर करते है। सभ्यता के युग की भद्र महिला की, जिसका कि झूठा आदर-सत्कार तो बहुत होता है, और वास्तविक श्रम से जिसका कोई सम्बन्ध नहीं रह जाता है, सामाजिक स्थिति बर्बर यग की मेहनत-मशक्कत करनेवाली नारी की सामाजिक स्थिति से कही नीचे होती है। बर्बर युग को नारियो को उनके अपने लोग सचमुच भद्र महिला (lady, frowa, Frau-मालकिन) समझते थे और उनकी सचमुच समाज में वैसी ही स्थिति थी। अमरीका मे अब युग्म-परिवार ने पूरी तरह यूथ-विवाह का स्थान ले लिया है या नहीं, इसका निर्णय करने के लिये उत्तरी-पश्चिमी अमरीका की, और विशेषकर दक्षिणी अमरीका की उन जातियों का ज्यादा नजदीक से अध्ययन करना होगा, जो अभी तक जांगल युग की उन्नत अवस्था में ही है। इन जातियो मे यौन-स्वतंत्रता के इतने अधिक उदाहरण मिलते हैं कि उन्हे ध्यान में रखते हुए, हम यह नहीं मान सकते कि इनमें यूथ-विवाह की पुरानी प्रथा पूरी तरह मिटा दी गयी है। बहरहाल अभी तक उसके सारे चिह्नों का लोप तो नही हो पाया है। उत्तरी अमरीका के कम से कम चालीस कबीले ऐसे है, जिनमे किसी भी परिवार की सबसे बड़ी लड़की से विवाह करनेवाले पुरुष को यह अधिकार होता है कि वह उसकी सभी बहनों को, जैसे ही वे पर्याप्त आय प्राप्त कर ले, अपनी पली बना ले- यह बहनों के एक पूरे दल के सामूहिक पति होने की प्रथा का अवशेष है। और बैक्रोपट बताते हैं कि कैलिफोर्निया प्रायद्वीय के कबीलो में (जोकि जांगल युग की उन्नत अवस्था मे है ) कुछ ऐसे त्योहार प्रचलित है, जिनमें कई "कबीले" स्वच्छन्द मैथुन के लिए एक जगह जमा होते है । 40 जाहिर है कि वास्तव मे वे ऐसे गोत है जिन्हे ये त्योहार उन दिनो की धुंधली-सी याद दिलाते है, जबकि एक गोत्र के सभी पुरुष दूसरे गोन की सभी स्त्रियों के समान पति हुआ करते थे और इसी प्रकार एक गोत्र की सभी स्त्रिया दूसरे गोत्र के पुरुषों की समान पत्निया हुआ करती थी। यह प्रथा आस्ट्रेलिया में अभी तक चली आती है। कुछ जातियो में ऐसा होता है कि अपेक्षाकृत ६३
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