पृष्ठ:परिवार, निजी सम्पत्ति और राज्य की उत्पत्ति.djvu/६६

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सामाजिक प्रेरक शक्ति हरकत मे न आती, तो कोई कारण न था कि युग्म-परिवार से परिवार का कोई नया रूप उत्पन्न होता। मगर ये नर्य प्रेरक शक्तियां हरकत में आने लगी। अब हम युग्म-परिवार को क्लासिकीय भूमि अमरीका से विदा लेने है। हमारे पास इस नतीजे पर पहुंचने के लिये कोई सबूत नहीं है हि अमरीका मे परिवार का कोई और उन्नत रूप विकसित हुआ था, या अमरीका की खोज तथा उस पर क़ब्जा होने से पहले उसके किसी में भाग में नियमित एकनिष्ठ विवाह की प्रथा पायी जाती थी। परन्तु पुरान दुनिया में इसकी उल्टी हालत थी। यहा पशु-पालन तथा प्रजनन ने सम्पदा का एक ऐसा स्रोत खोल दिय- था, जिसकी पहले कल्पना भी नही की गयी थी, और नये सामाजिक सम्बन्धों को जन्म दिया था। वर्वर युग की निम्न अवस्था तक मकान, कपड़े, कुघड जेवर और आहार उपलब्ध तथा तैयार करने के औजार : नाव , हथियार, बहुत मामूली ढंग के घरेलू बर्तन मात्र ही , स्थायी सम्पत्ति में गिने जाते थे। आहार हर रोज नये सिरे से प्राप्त करना पड़ता था। परन्तु अब घोडो, ऊंटों, गधों, गाय-बैलो, भेड़-बकरियो और सुअरो के रेवड़ों के रूप में, गडरियों का जीवन वितानेवाले अग्रगामी लोगो को- भारत के पंचनद प्रदेश मे तथा गंगा नदी के क्षेत्र में तथा प्रोक्सस और जक्सारटिस नदियों के पानी से खूब हरे-भरे, आज से कही ज्यादा हरे- भरे घास के मैदानो मे रहनेवाले आर्यों को, और फ़रात तथा दजला नदियो के किनारे रहनेवाले सामी लोगों को- एक ऐसी सम्पदा मिल गयी थी जिसकी केवल ऊपरी देख-रेख और अत्यंत साधारण निगरानी करने से ही काम चल जाता था। यह सम्पदा दिन-दूनी रात चौगुनी बढ़ती जाती थी और इससे उन्हें दूध तया मास के रूप में अत्यधिक स्वास्थ्यकर भोजन मिल जाता था। आहार प्राप्त करने के पुराने सव तरीके अब पीछे छूट गये। शिकार करना, जो पहले जीवन के लिये आवश्यक था, की चीज बन गया। पर इस नयी सम्पदा पर अधिकार किसका था? शुरू में निस्सदेह उस पर गोत्र का अधिकार था। परन्तु पशुओं के रेवड़ों पर बहुत प्राचीन काल में ही निजी स्वामित्व कायम हो गया होगा। यह कहना मुशिल है कि तथाकथित प्रथम मूमा-पण्ड के लेखक को पिता इब्राहीम गाय-बैलो अब शौक ६८