पृष्ठ:परीक्षा गुरु.djvu/२७७

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बिपतमैं धैर्य.
 


हरकिशोर नें इस अवकाश को बहुत अच्छा समझा तत्काल अदालत मैं दरख्वास्त की कि "लाला मदनमोहन अपनें बाल-बच्चों को पहलै मेरठ भेज चुके हैं उन्के सब माल अस्बाब पर मिस्टर ब्राइट की कुर्की हो रही है और अब वह आप भी रूपोश (अतंर्धान) हुआ चाहते हैं मैं चाहता हूं कि उन्के नाम गिरफ्तारी या वारन्ट जारी हो." इस बात पर अदालत मैं बड़ा बिबाद हुआ जवाब दिही के वास्तै लाला ब्रजकिशोर बुलाए गए परन्तु उन्का कहीं पता न लगा हरकिशोर के वकील ने कहा कि लाला ब्रजकिशोर झूंट बोलने के भय सै जान बूझकर टल गए हैं. निदान हरकिशोर के हलफ़ी इजहार (अर्थात शपथ पूर्वक वर्णन करनें पर हाकम को बिबस होकर वारन्ट जारी करनें का हुक्म देना पड़ा हरकिशोर नें अपनी युक्ति सै तत्काल वारन्ट जारी करा लिया और आप उस्की तामील करने के लिये उस्के साथ गया. मदनमोहन सै जिन लोगों का मेल था उन्मैं सै कोई, कोई मदनमोहन को ख़बर करनें के लिये दौड़े परन्तु मन्द भाग्य सै मदनमोहन घर न मिले.

हां मदनमोहन की स्त्री अभी मेरठ सै आई थी वह यह ख़बर सुन्कर घबरा गई उस्नें चारों तरफ़ को आदमी दौड़ा दिये. मेरठ में मदनमोहन के बिगड़नें की ख़बर कल सै फैल रही थी परन्तु उस्के दुःख का विचार करके उस्के आगे यह बात करनें का किसी को साहस न हुआ आज सबेरे अनायास यह बात उस्के कान पड़ गई बस इस बात को सुन्ते ही वह मच्छी की तरह तड़पनें लगी, रेलके समय मैं दो घंटे की देर थी यह उसै दो जुग सै अधिक बीते उस्के घरके बहुत कुछ धैर्य देते थे परन्तु