पृष्ठ:परीक्षा गुरु.djvu/२७९

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बिपतमैं धैर्य.
 

और हरेक आदमीके फ़ायदे के लिये इन्साफ करना बहुत जरूरी हैं" हाकम नें कहा "आपसे सीधे सादे आदमियोंको अपनें भोलेपन सै इतनी तक्‌लीफ उठानी पड़े यह बड़े खेदकी बात है और मेरा जी यह चाहता है कि मुझसै हो सके तो मैं अपनें निज सै आपके कर्ज़ का इन्तजाम करके आपको छोड़ दूं परंतु यह बात मेरे बूते सै बाहर है क्या आपके कोई ऐसे दोस्त नहीं हैं जो इस्समय आपकी सहायता करें? या आप इन्साल़बन्सी वगैरे की दरख्वास्त रखते हैं।

लाला मदनमोहन के मुख सै कुछ अक्षर न निकले इस वास्तै थोड़ी देर पीछे हारकर उन्को हवालात मैं भेजना पड़ा.

इतनें मैं लाला ब्रजकिशोर आ गए. उन्का स्वभाव बड़ा गंभीर था परंतु बिना बादलके इस बिजली गिरनें सै तो वह भी सहम गए उन्को इतनें तूल हो जानें का स्वप्न मैं भी खयाल न था इस लिये वह थोड़ी देर कुछ न समझ सके वह कभी इन्साल्‌वन्सी क़ा विचार करते थे कभी हरकिशोर कि डिक्री का रुपया दाखिल करके मदनमोहन को तत्काल छुड़ा लिया चाहते थे परंतु इन बातों सै उनके और प्रबन्ध मैं अन्तर आता था इसलिये इन्मैं सै कोई बात उस्समय न कर सके। वह समझे कि "ईश्वर की कोई बात युक्ति सून्य नहीं होती कदाचित इसी मैं कुछ हित समझा हो ईश्वर की अपार महिमा है सेआक्सनी का हेन्‌री नामी अमीर बड़ा दुष्ट, क्रूर और अन्याई था उस्के स्वेच्छाचारसै सब प्रजा त्राहि त्राहि कर रही थी इसलिये उस्को भी प्रजासै बड़ा भय रहता था एकबार वह कुछ दुष्कर्म करके निद्राबस हुआ उस्समय उस्नें यह स्वप्न देखा कि वहां

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