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परीक्षागुरु

प्रकरण १.

सौदागर की दुकान.

चतुर मनुष्य को जितने खर्च मैं अच्छी प्रतिष्ठा अथवा धन
मिल सक्ता है मूर्ख को उस्सै अधिक खर्चने पर भी कुछ नहीं मिल्ता

लार्ड चेस्टर फील्ड

लाला मदनमोहन एक अंग्रेजी सौदागर की दुकान मैं नई, नई फाशन का अंग्रेजी अस्बाब देख रहे हैं लाला ब्रजकिशोर, मुन्शी चुन्नीलाल, और मास्टर शिंभूदयाल उनके साथ हैं.

"मिस्टर ब्राइट! यह बड़ी काच की जोड़ी हमको पसंद है इस्की क़ीमत क्या है?" लाला मदनमोहन ने सौदागर सै पूछा.

"इस साथकी जोड़ी अभी तीनहजार रुपे मैं हमने एक हिन्दुस्थानी रईस को दी है लेकिन आप हमारे दोस्त हैं आपको हम चारसौ रुपे कम कर देंगे"

"निस्सन्देह ये काच आपके कमरे के लायक़ है इन्के लगने से उस्की शोभा दुगुनी हो जायगी" शिंभूदयाल बोले.

"आहा! मैं तो इन्के चोखटोंकी कारीगरी देखकर चकित हूं! ऐसे अच्छे फूल पत्ते बनाये हैं कि सच्चे बेल बूटों को मात करते