मैंने सिर हिलाकर उत्तर दिया--नहीं, मैं सरकारी अनाथालय में पाला गया हूँ।
मेरी बात सुनकर तूरया उठ खड़ी हुई, और बोली--तब तू मेरा खोया हुआ बड़ा भाई नाज़िर ही है। मेरे पैदा होने के एक साल पहले तू खोया था। मेरे माँ-बाप सब सरकारी फ़ौज पर छापा डालने के लिये आए थे, और तू भी साथ था। मेरी माँ लड़ने में बड़ी होशियार थीं। तू उनकी पीठ से बँधा हुआ था और वे लड़ रही थीं। इसी समय एक गोली उनके पैर में लगी और वे गिरकर बेहोश हो गई। बस, कोई तुझे खोल ले गया। मेरी माँ को मेरा बाप अपने कंधे पर उठा लाया; लेकिन तुझे न खोज सका। बहुत तलाश किया ; लेकिन कहीं भी तेरा पता न लगा। अम्माँ अकसर तेरी चर्चा किया करती थीं। उनके हाथ में भी यही निशान था।
यह कहकर उसने फिर वही हाथ मुझे दिखलाया। मैं उसका और अपना साँप मिलाने लगा। वास्तव में दोनों साँप हूबहू एक-से-एक थे, बाल-भर भी अन्तर न था। मैं हताश-सा होकर चारपाई पर गिर पड़ा।
तूरया मेरे पास बैठकर सस्नेह मेरे माथे का पसीना पोंछने लगी। उसने कहा--नाज़िर, माँ कहती थीं कि तू