पृष्ठ:पाँच फूल.djvu/३६

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ प्रमाणित है।
स्तीफ़ा


पुकारा। छोटी लड़की ने जाकर पूछा, तो मालूम हुआ कि दफ्तर का चपरासी है। शारदा पति के मुँह-हाथ धोने के लिए लोटा-ग्लास माँज रही थी। बोली---उससे कह दे, क्या काम है, अभी तो दफ्तर से आये ही हैं, और अभी फिर बुलावा आ गया ?

चपरासी ने कहा---साहब ने कहा है, अभी बुला लाओ। कोई बड़ा ज़रूरी काम है।

फतहचंद की खामोशी टूट गई। उन्होंने सिर उठाकर पूछा---क्या बात है ?

शारदा---कोई नहीं, दफ्तर का चपरासी है।

फतहचंद ने सहमकर कहा---दफ्तर का चपरासी ! क्या साहब ने बुलाया है ?

शारदा–--हाँ कहता है, साहब बुला रहे हैं। यह कैसा साहब है तुम्हारा, जब देखो बुलाया करता है। सबेरे के गये-गये, अभी मकान को लौटे हो फिर भी बुलावा आ गया ? कह दो नहीं आते---अपनी नौकरी ही लेगा या और कुछ !

फ़तहचंद ने सँभलकर कहा---ज़रा सुन लूँ किस लिये बुलाया है। मैंने तो सब काम ख़तम कर दिया था, अभी आता हूँ।

२४