पृष्ठ:पाँच फूल.djvu/३७

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स्तीफ़ा

शारदा---जरा जल-पान तो करते जाओ, चपरासी से बातें करने लगोगे, तो तुम्हें अन्दर आने की याद भी न रहेगी।

यह कहकर वह एक प्याली में थोड़ी-सी दालमोट और सेव लाई। फतहचंद उठकर खड़े हो गये; किन्तु खाने की चीजें देखकर चारपाई पर बैठ गये और प्याली की ओर चाव से देखकर डरते हुए बोले---लड़कियों को दे दिया है न !

शारदा ने आँखें चढ़ाकर कहा---हाँ-हाँ, दे दिया है, तुम तो खाओ !

इतने में छोटी लड़की आकर सामने खड़ी हो गई। शारदा ने उसकी ओर क्रोध से देखकर कहा---तू क्या आकर सिर पर सवार हो गई, जा बाहर खेल !

फतहचंद---रहने दो, क्यों डाँटती हो। यहाँ आओ चुन्नी, यह लो दालमोट ले जाओ!

चुन्नी माँ की ओर देखकर डरती हुई बाहर भाग गई।

फतहचंद ने कहा---क्यों बेचारी को भगा दिया। दो-चार दाने दे देता, तो खुश हो जाती।

शारदा---इसमें है ही कितना कि सबको बाँटते फिरोगे। इसे देते तो बाक़ी दोनों न आ जातीं। किस-किस को देते ?

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