पृष्ठ:पाइअ सद्द महण्णवो - समर्पण.pdf/७

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

रुकेत | ती त्रि दं

          • **

दंस दसचू दैवेन्द्र द्र her द्रव्य भया धम्म Tottil, धर्मसं नव - = नाट = = = दर्शनशुद्धिप्रकरणा = दशवैकालिकसूल = ग्रन्थ का नाम । = तीर्थकल्प लिपुरदाह (डिम) दंडकप्रकरण = दशाश्रुतस्कन्ध दीवसागरपन्नत्ति दूतघटोत्कच = देशीनाममाला देवेन्द्रस्तवप्रकीक देवेन्द्रनरकेन्द्र प्रकरण = द्रव्यसित्तरी = धम्मोवएसकुलक = धर्मसंग्रह धर्मवि = धर्मविधिप्रकरया सटीक दशवैकालिकचूलिका दशबैकालिकनियुक्ति = = द्रव्यसंग्रह = ऋषभपंचाशिका धर्मरल प्रकरण सटीक = = धर्मसंग्रहणी = धर्माभ्युदय = प्राकृतधात्वादेश ध्वन्यालोक = = नवतत्त्व करण संस्करा आदि । हस्तलिखित गायकवाड ओरिएन्टल सिरिज, नं ८, १९१८ जैन-ज्ञान-प्रसारक-मंडल, बम्बई, १९९९ १ २ भीमसिंह माणेक, बम्बई, १९०८ हस्तलिखित १ भीमसिंह माणेक, बम्बई, १९०० २ डॉ. जीवराज घेलाभाई, अमदावाद, १९१२ १३ भीमसिंह माणेक, चंबई, १६०० हस्तलिखित 95 त्रिवेन्द्र - संस्कृत सिरिज बम्बई - संस्कृत सिरिज, १८८० हस्तलिखित ● जैन आत्मानन्द सभा, भावनगर, १९२२ १ जैन धर्म-प्रसारक-सभा, भावनगर, संवत् १९५८ २ शा. वेणीचंद सूरचंद, महेसाणा, १६०६ जैन-ग्रन्थ- रत्नाकर कार्यालय, बम्बई, १९०६ काव्यमाला, सप्तम गुच्छक, बम्बई, १८६० जैन- विद्या प्रचारक वर्ग, पालीताणा, १६०५ २ हस्तलिखित १ + हस्तलिखित जैन- विद्या प्रचारक - वर्ग, पालीताणा, १६०५ जेसंगभाई छोटालाल सुतरीया, अहमदाबाद, १६२४ दे० ला० पुस्तकोद्धार फंड, बम्बई, १९१६-१८ जैन-आत्मानन्द-सभा, भावनगर, १९१८ एसियाटीक सोसाइटी ओफ बंगाल, १९२४ निर्यायसागर प्रेस, बम्बई १ आत्मानन्द - जैन-सभा, भावनगर २ आद्य - जैन धर्म प्रवर्तक - सभा, अमदावाद, १९०६ जिसके अंक दिये गये हैं वह । कल्प पृष्ठ गाथा ११ तत्त्व अध्ययन० 39 चूलिका ० अध्ययन, गाथा " पृष्ठ वर्ग, गाथा गाथा 59 "1 मूल-गाथा 99 गाथा अधिकार पत्र गाथा पृष्ठ पृष्ठ 33 गाथा ११ = * नाटकीय प्राकृतशब्दसूची + श्रद्धेय श्रीयुत के. प्रे. मोदी द्वारा प्राप्त । क्रमदीश्वर का प्राकृत

  • सेंट्रल लाइब्रेरी, बडोदा में स्थित एक मुखपृष्ठ - हीन पुस्तक से गृहीत, जिसके पूर्व भाग

व्याकरगा और उत्तर भाग में 'प्राकृताभिधानम्' शीर्षक से कतिपय ग्रन्थों से उद्धृत प्राकृत शब्दों की एक छोटी सी सूची छपी हुई है। इस सूची में उन ग्रन्थों के जो संक्षिप्त नाम और पृष्ठाक दिये गये हैं वे ही नाम तथा पृष्ठाक ज्यों के त्यों प्रस्तुत कोष में भी यथास्थान 'नाट' के बाद रखे गये हैं। उक्त पुस्तक में उन ग्रन्थों के संक्षिप्त नामों तथा संस्करणों का विवरण इस तरह है; -