पृष्ठ:पार्टनर(hindi).pdf/१२

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

दिनों कुछ महसूस नहीं हुआ था। सिर्फ इच्छा होती थी की जतीन के पास रहें, उसकी नजर में अच्छा बना रह। बस। मेरी हाईट अच्छी बढ़ रही है। कभी-कभी पिताजी के बाजू में खड़े रहकर देखता हूँ कि उनसे कितना लंबा हो गया हूँ। कल शामतक मैं उनसे दो इंच लंबा था। मुँहासे मेरे दुश्मन बन गए है। दिन में पाँच छह बार साबुन से मुँह धोता रहता हूँ। बहुत बारिश हो रही है। पानी रेनकोट से अंदर जाता है और मैं पूरा भीग जाता मैं हूँ। वैसे रेनकोट भीगने के लिए ही तो पहनते है। पहली युनिट टेस्ट में मैं गणित में फेल, हिंदी में जैसे तैसे पास। उसमें नई बात क्या हैं? उस डायन ने मुझे क्योंकि, कीजिए शब्द पाँच सौ बार लिखने की सजा दी। शब्दों की यह हस्वई की, दीर्घई की झंझट मेरे पल्ले पड़ने वाली नहीं है। मैं तो कहता हूँ, जिसे जैसा चाहे लिख लें, अर्थ में फर्क थोड़ा ही पढ़नेवाला है। प्रगती पुस्तक पर पिताजी के हस्ताक्षर कर डाले। उन्हें खालीपीली तकलीफ क्यों दें? अब मेरी उमर चालीस साल तक आ पहुंची है। अभी-भी मुझे हिंदी में सिर्फ दो ही शब्द सही ढंग से लिखने आते हैं- क्योंकि, कीजिए। जतीन को जिम्नॅस्टिक्स का पहला प्राईज मिला। मैंने उसे बधाई दी। वह हँस पड़ा और उसने मेरे कंधे पर हाथ रखा। मेरे तो रोंगटे खड़े हो गए। कितना खुबसूरत दिखता है जतीन। दगडूशेट गणपती की शोभयात्रा देखने मौसी आयी थी। हर साल आती है। आखिर आज टली। पुणे की हमेशा बुराई करती रहती है, हमारे बलबुते इतराती है और चली जाती है। टिळक ने यह झमेला क्यो शुरू किया, भगवान जाने। शायद उनके कोई रिश्तेदार नहीं थे। आज जतीन का बर्थ डे। उसका नाम भी कितना सुंदर है। सभी कापियों में मैंने उसका नाम घोटके रखा है। लड़कियों पर आज मैं नजर रखा हुआ था। क्लास की पाँच लड़कियों ने उसे ग्रीटींग कार्ड दिया। दो ने गुलाब दिए। मैंने सुबह ही उसे बधाई दी। उसने सिर्फ थेंक्स कहा। बहुत अकड़ता है साला। गुलाब तो मैं भी देना चाहता था, पर कैसे देता? ३