पृष्ठ:पार्टनर(hindi).pdf/२१

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पाँचवा दिन। मुझे चारो ओर मिलिंद ही मिलिंद दिखाई देने लगा है। कल रात सपना देखा। मिलिंद भयंकर संकट में है। मैंने उसे जान की बाजी लगाकर बचा लिया। उसे बचाते बचाते मैं जख्मी हो गया। मरने लगा। उसने मुझे बाहों में भर लिया। सीने से लगा लिया। उसकी आँखों में पानी भर आया। हर रात जाँघिया बदलना एक झंझट-सी लगने लगी है। मेटी प्रतिज्ञा उसी वक्त खत्म हो गई। हमेशा के लिए। इम्तिहान सर पर है। कम से कम ८० पर्सेट की अपेक्षा पिताजी कर रहे है। परीक्षा खत्म होने का इंतजार कर रहा हूँ। अब कुछ दिनों तक डायरी नहीं लिखूगा। . दसवीं का साल कैसे गुजर गया, पता भी नहीं चला। सुबह क्लास, दोपहर को पाठशाला, घर आते ही पढ़ाई और रात कों मिलिंद। छुट्टि पड़ गई। पिछले महिने में मैंने हार्मोनियम का क्लास शुरू कर दिया। वहाँ एक लड़की है, बहुत अच्छा बजाती है। दुर्गा राग उससे ही सुने। पता नहीं, मुझे राग बजाना कभी सिखाएँगे। सिर्फ सा-रे-ग-म बजाना अब बोअर होने लगा है। पिछले हफ्ते हम सब गणपतीपुले गए थे। मुझे अच्छे मार्क्स मिले इसलिए माँ ने मन्नत माँगी। मुझे चिंता हो रही है, अब जतीन नहीं मिल सकेगा। शायद माँ ने, मेटे अच्छे रिझल्ट के लिए हर एक भगवान से मन्नत मांगी थी। पिताजी ऐसी बातों पर यकीन नहीं करते थे। मुझे ८२ पर्सेट मार्क्स मिले। सायन्स में मैंने अॅडमिशन लिया। फर्ग्युसन कॉलेज में। आनंद की बात यह है की जतीन भी मेरे ही क्लास में है। उसे ८४% मिले। अब हम फिरसे साथ है। मैं तो जैसे हवा में उड़ रहा हूँ। मुझे माँ ने सोने की चेन और पिताजी ने इलेक्ट्रॉनिक की-बोर्ड गिफ्ट में दिया। कल मैंने सपने में देखा की मैं डॉक्टर बन गया हूँ। सुबह देखे हुए सपने सच होते हैं। कल से कॉलेज शुरू होगा। १२ ... PO