पृष्ठ:पार्टनर(hindi).pdf/२२

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कॉलेज कॉलेज शुरू हो गया। मुझे अकेलापन महसूस होने लगा है। वैसे पहचान तो बहुत सारे लड़कों से हो गई है, लेकिन दोस्ती किसी से भी नहीं। इस कॉलेज में मेरे स्कूल से सिर्फ जतीन अकेला आया हैं। लेकिन उससे भी हाय-हॅलो से ज्यादा बात नहीं होती। कभी कभी वैशाली रेस्टॉरंट में मिलता है। तब मैं उसके साथ बात करने की कोशिश करता हूँ लेकिन अब वह स्कूल का जतीन नहीं रहा। बहुत बदल गया है। ज्यादा बात भी नहीं करता। मुझे बड़ा दुःख होता है। सोचता हूँ, कहीं मैने उसे अनजाने में कुछ बोला तो नहीं। लेकिन ऐसा कुछ याद तो नहीं। जॉन और रवि के साथ वैसे दोस्ती बन रही है। हमारे क्लास में एक जनाना ढंग का लड़का है। कोई भी उसके साथ नहीं बैठता। उसके बेंच पर वो बेचारा अकेला ही बैठता है। एक दिन अचानक वो मेरे बगल में आ बैठा। मैं इतना बैचेन हो उठा, पुछो मत। वहाँ से उठकर दूसरे बेंच पर जा बैठा। मेरे बारे में नाहक किसी को गलतफहमी न हो जाए। कोई उस वक्त मुझसे पूछता की, 'यह गलतफहमी क्या होगी? किस प्रकार की? तो शायद मैं बता नहीं पाता। सिर्फ इतना डर था की उसके साथ मेरा भी मजाक न उड़ाया जास। साथ ही आम लोगों से कुछ अलग जो रहते है, उनके बारे में जो फोबिया सबके मन में रहता है, अर्थात वो मेरे मन में भी था। बहुत साल के बाद वह फोचिया निकला गया। विशेष रूप से मुझे लगने लगा है की, मैं 'अलग हूँ। मुझे सिर्फ लड़के अच्छे लगते है। उनका साथ अच्छा लगता है। मेरी एक भी सहेली नहीं है। लड़कियों से दोस्ती करने को मन करता ही नहीं। इंग्लिश की मॅडम और फिजिक्स से सर अच्छे हैं। उनका स्वभाव भी अच्छा है। हमेशा मेरी मदद करते है। फिजिक्स के सर कितने खुबसूरत दिखते है। आज मेरे मन में विचार आया, मैं सर के साथ शादी करना चाहता हूँ।