पृष्ठ:पार्टनर(hindi).pdf/३१

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उसीने मेरे साथ छेड़-खानी की। बाकी के लड़के जतीन का ही पक्ष लेंगे और उसके बाद पता नहीं जतीन उसे अकेला पकड़कर उससे क्या सलूक कटेगा। हे भगवान। इस घटना के बाद मेटी निराशा और बढ़ गई। कितना सुंदर और मासूम लगता था जतीन लेकिन असल में इतना नीच, इतना गिरा हुआ है. इस बात पर यकिन करना भी मुश्किल हो रहा था। यह वस्तुस्थिती स्वीकारना मुझे भारी पड़ रहा था। वैसे उसके रंग इस घटना से पहले ही दिखाई देने लगे थे। लेकिन मेरा ही प्रेम अंधा था। अगर मैं लड़की होता तो? अगर जतीन के मन में मैं अष्ट गया होता तो? तो क्या मैं उससे लैगिक संबंध रखने के लिए राजी होता? अगर वो कहता कि चलो, हम ध्याग जाते है और चुपचाप शादी कर लेते हैं, तो क्या मैं यह शादी करता? हाँ, जहर कष्ट लेता। और फिर बाद में? बाद में होश आ जाते, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी होती। सुंदर शरीर हमें कितना लुभाता है, आशिक बनाता है और हमें कितना बहकाता है। जिंदगी से उब गया हूँ मैं। एक तरफ जतीन से द्वेष हो रहा है लेकिन दूसरी तरफ उसको लेकर मेरी लैंगिक भावनाएँ और ही बढ़ती जा रही है। जतीन ने जिस जबरदस्ती से उस लड़के का जाँघिया उतारा था, वही जबरदस्ती जतीन मुझसे बरतें, मुझपर थूके, अधिकार जताकर मुझे नंगा करे, मार धाड़ करे, मुझसे बलात्कार करे, इस तरह की भावनाएँ मनमें उठती रहती है। और 'वो' तन जाता है। आजकल सेहत बारबार खराब होती है। हर तीन-चार हफ्तों बाद मैं बीमार पडता हूँ। वजन कम होता जा रहा है। इन दिनों डायरी लिखने की भी इच्छा नहीं होती। आज फिरसे लिखने बैठा। डायरी को छोड़कर और है कौन मेरे लिए, जिससे मन की बातें कह सकूँ। परीक्षा खत्म हो गई। गणित का पर्चा मैं कुछ भी लिखे बगैर कोरा छोड़ के आया हूँ। बाहर कहीं टहलता रहा और वक्तपर घर आ गया। घरवाले चाहते हैं, मैं मेडीकल में प्रवेश ले लूँ। ...२२ ...