पृष्ठ:पार्टनर(hindi).pdf/३२

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आज एक लड़का मिला। ग्यारहवीं कक्षा का नाम है अनिकेत। यह उसका असली नाम है या नहीं मुझे पता नहीं। रूपाली रेस्टॉरंट में मेरी तरफ टुकटुकी लगाकर देख रहा था। शुरू में मैंने अनदेखी कर दी। लड़कों की आँखों मे आँख डालकर उनकी तरफ देखने की हिम्मत मुझ में नहीं है। डर लगता है। फिर थोड़ा साहस बटोरकर मैंने चोरी-चोरी उसकी तरफ देखा। वो हल्का-सा हँस दिया और उसने गर्दन हिलाई। दोस्तों के साथ मैं बाहर आ गया और थोडा पीछे रहा। वह मेरे पीछे आया। बी.सी.एल. के सामने जो बेंच है उसपर मैं बैठ गया। वह बगल में आ बैठा। 'तुम्हारी शर्ट अच्छी है', वह बोला । मैंने संकोच से बैंक्यू कह दिया। आँख उठाकर पहली बार उसकी तरफ देखा। दिखने में वो साधारण था। उसने कहा, “एफ. सी. में हो ना? बारहवीं में?.... मैं ग्यारहवीं में हूँ।' आजकल हम दोनों साथ घुमते हैं। खाना खाने, फिल्म देखने साथ जाते हैं। मैं भावनिक दृष्टि से उससे दोस्ती करना चाहता हूँ लेकिन उसे मेरी भावनाओं से कुछ लेना देना नहीं। जैसे उसकी कोई भावनाएँ हैं ही नहीं। ज्यादा बात भी नहीं करता। वह मेरे साथ सिर्फ सेक्स करना चाहता है। एक आधी अधुरी बिल्डिंग की साईटपर वह आज मुझे ले गया। सातवें माले पर टेरेस पे हम पहुँचे। पानी की टंकी के नीचे बैठ गए। मैं घबराया-सा था कि कोई I 3 आया तो?..... बाद में हमने एक दूसरे को अपने फोन नंबर दिए। मेरा नंबर देते वक्त थोड़ी घबराहट हुई, लेकिन न दूँ तो वह हाथ से निकल जाएगा, इस डर से दे दिया। अनिकेत और मैं आजकल लगातार मिलते रहते है। लेकिन मेरी भावनिक भूख पूरी नहीं होती। मन खाली-खाली सा रहता है। लगता है उसकी बाहों में सुकून की साँस लू, उसके बाल सहलता रहूँ। पर वो मेरे साथ होता है तब एक पत्थर बनकर रह जाता है। उसकी कोई भावानाएँ है कि नहीं? या फिर उन्हें व्यक्त करने से घबराता है? क्या इस रिश्ते से डरता है? कुछ बोलने पर मैं उसे मजबूर करने की बहुत कोशिश करता हूँ, मगर वह टस से मस नहीं होता। उसे सिर्फ उसके काम से मतलब। वैसे मैं जान गया हूँ कि उसे अपनी लैंगिकता पर शरम है। अपराध की भावना है। खुद के बारे में बहुत द्वेष भरा हुआ है। उसके मन में उसकी जब मर्जी हो जाए, मुझे फोन करता है, कही ले जाता है.... , २३ ...