पृष्ठ:पार्टनर(hindi).pdf/३८

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करती है और माँ को ही चूल्हा सँभालना पड़ता है। चाची कुछ काम नहीं करती। भगवान जाने, ऐसे रिश्तेदार हमारे ही भाग में क्यों लिखे हैं। पिताजी ने सबको बताया की मैं 'मैकेनिक' हूँ। आज मेहमानों की टोली टल गई। अच्छा होता उनका गाडी का अॅक्सिडेंट हो जाता। काश, ऐसा हो ही जाता तो यह बला हमेशा के लिए समाप्त होती। चाची का फोन आया की वो लोग सुरक्षित घर पहुँच गए। मेरे नसीब में सुख लिखा ही नहीं है। अनिकेत सिर्फ पैसे माँगने के लिए ही बुलाता है। आज थोड़ी हिम्मत बाँधकर मैंने पैसे देने से इन्कार कर दिया। मालूम नहीं इतना साहस मैं कैसे जुटा पाया। उसने मुझे धमकाया, 'अगर नहीं दोगे तो घर में सब बता दूँगा!' ब्लॅकमेल! मैं सकपका गया। कुछ बोल नहीं पाया। वह बोला, 'चुपचाप दो सौ रूपये निकाल, नहीं तो....' मैं एकटक उसकी तरफ देखता रहा। वह पत्थर की तरह खड़ा था। यकायक मुझे गुस्सा आया। मैंने तपाक से जबाब दिया 'नहीं देता जा, क्या करेगा? कर ले तुझे जो कुछ करना है!' ब्लॅकमेल का शिकार होना महंगा पड़ता है। ब्लॅकमेलर को पैसे की लत लगती है और उससे छुटकारा पाना मुश्किल होता है। वह चिढ़ गया। गालियाँ देने लगा। मैंने कल्पना भी न की थी की उसके मन में मेरे बारे में इतना द्वेष भरा हुआ होगा। कहने लगा, ‘गांडू, साला दूसरों से जाने की हो औकात है तेरी! मुझे तरस आ रही थी तुझ पर, इसलिए तेरे साथ रहा।' बोलते बोलते उसने मुझे एक तमाचा मारा और वहाँ से निकल गया। मेरा बदन गरमा गया। दम घुटने लगा। गला सँध गया। लगा किसी के पास दिल खोलकर . बात करूँ। बार बार मुझे समलिंगी लोगों के लिए कोई सुरक्षित जगह की (सेफ गे स्पेस) जरूरत महसूस हो रही थी। उस समय आज जैसे सपोर्ट ग्रुप्स' नही थे। आज जरा ठीक लग रहा है। पिछला पूरा हप्ता बहुत जोरों का बुखार आया था। चार डिग्री तक बुखार चढ़ा था। अब बुखार निकल गया है, पर थकान है। २९ ...