पृष्ठ:पार्टनर(hindi).pdf/३९

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गराज में काम की अब आदत पड़ गई है। अब वहाँ के लडके भी मुझे परेशान नहीं करते। मैं भी मन लगाकर काम करता हूँ। मालिक ने आज मुझे गाडी धोने के काम के बजाए, एक मैकेनिक के साथ काम करने को कहा। गाडी दुरूस्त करना मुझे अच्छा लगता है। यह काम मेरी पसंद का है। वजन कम हुआ है। बदन गठील होता जा रहा है। नसें गदरा गई है। कभी- कभी बेडरूम में खुदको बंद करके, आईने के सामने सब कपडे उतारकर मेरा बदन देखता हूँ। शरीर पर हाथ फेरता हूँ तो बड़ा अच्छा लगता है। मेरे शरीर से प्रेम हो गया है। अगर मैं कोई और होता, तो मुझे मेरे साथ सेक्स करना पसंद होता। इस महिने में मुझे तीन सौ रूपये मिले। माँ और पिताजी को बाहर होटल में खाना खिलाया। अब घरवालों का गुस्सा कम हो रहा है। इधर मेरा आत्मविश्वास बढ़ता जा रहा है। मुझे जरूरत है एक साथीदार को । ऐसा जो मेरे साथ एकनिष्ठ रहेगा। वफादारी निभाएगा। हमारा एक दूसरे से प्रेम होगा। सिर्फ शारिरीक नहीं, भावनिक रिश्ता भी होना चाहिए। अपनापन होना चाहिए। ऐसा लड़का कहाँ मिलेगा? जिंदगी भर अकेले रहना मेरे लिए मुश्किल है। मुझसे अकेलापन नहीं सहा जाएगा। कल हम सब एक शादी में गए थे। वहाँ एक मौसी बीच में पिनपिनाई, 'अब इसकी बारी, कर दो इसकी शादी'। यह चुगलखोर वधु-वरों की जानकारी देनेवाली संस्था चलाती है। माँ बोली 'लड़कीयों की तरफ से रिश्ते आ रहे हैं। एक बार इसका सब ठीक ठाक हो जाए, तो उसकी शादी करेंगे। अभी शादी में थोड़ी देर है। एक दो साल के बाद देखेंगे।' मौसी ने जबाब दिया 'अभीसे शुरू हो जाओ। सब कुछ तय होते होते यूँ साल भर गुजर जाता ही है।' मादरचोद साली। जब तक ये ऐसे रिश्तेदार मर नहीं जाते तब तक मुझे शांती नहीं मिलेगी। मुझे टेन्शन हो गया है। राजू एक लड़की के साथ धूमता है। उसे गराज पर भी ले आता है। औरों के सामने इतराता है। उसके साथ क्या क्या किया, इसका बढ़ा-चढ़ाकर वर्णन करता है। औरों को जलाता है। मुझे भी उससे जलन होने लगी है। कल अनर्थ हो गया। मैं काम से वापस घर लौटा, तो माँ गुस्से से नीली-पीली हो रही थी। घर में कदम रखते ही उसने मुझे कहा, 'तुम्हारे साथ बात करनी है।' पिताजी भी थे। ३०