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त्रिशंकू

- घर में पूरा सन्नाटा है। 'तुम्हें देखकर ऐसा लगा तो नहीं कभी माँ बीच-बीच में खुदसे ही बड़बड़ाती है। “यह सब तुम्हारे लाड प्यार का नतीजा है।' - पिताजी माँ पर बरसते हैं। लोगों को पता चला, तो मुंह पर थूकेंगे। मुँह दिखाने लायक नहीं छोड़ा इस निगोड़े ने।' 'इसकी परवरिश में क्या गलती हो गई हमारी?' - माँ। 'यह सब अस्वाभाविक है। हमारे नसीब ही गांडू- पिछले जनम का पाप इस जनम में घर आया है- अब तुम ही सँभालो इसे- मेरा कुछ संबंध नहीं। तुम्हारे लाड- प्यार के कारण बिगड़ गया है, अब तुम ही जाने और तुम्हारे किए के फल जाने।' पिताजी। कुछ लड़के/लड़कियाँ समलिंगी क्यों होते है, इसका कारण किसी को भी मालूम नहीं। जैसे चाकी के लड़के/लड़कियाँ भिन्नलिंगी क्यों होते है, यह भी कोई नहीं जानता। इसमें किसी का भी दोष नहीं-न माँ-बाप का, न उन बच्चों का। पालक और रच्चे दोनों निष्कारण खुद को गलत, दोषी मानते रहते हैं। समलैगिकता प्राकृतिक प्रवृत्ति है, अप्राकृतिक नहीं। कितने ही प्राणि, पक्षी और मछलियाँ इस दुनियाँ में है, जिन में समलैंगिकता दिखाई देती है। उदा. डॉल्फिन, शार्क, तोते, बगुले, हाथी, लंगुर आदि। पिताजी उदास नजर से बैठे रहते है। माँ अब तक यकीन नहीं कर पाई है। मुझे एकदम हलकापन आ गया है। सिर का एक बोझ तो उतर गया। अब जो होना है, होने दो। ३२ ...