पृष्ठ:पार्टनर(hindi).pdf/७०

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है। इरु को बिल्कुल नहीं। फिर भी मेरे साथ रहने का मौका मिलता है, इस कारण इरु मेरे साथ आता है। रात ग्यारह बजे इरु मेरी गोद में सर रखकर सो जाता है। सुबह भैरवी होते होते मैं उसे जगा देता हूँ। कल रात हमारे बगल में बैठे एक आदमी को इरु का मेरी गोद में सोना शायद पसंद नही आया। बार बार तिरछी नजर से हमारी ओर घूरता था। देखने दो। भड़वा। आज इरु ने मेरे दिमाग में एक अनोखा आयडिया भर दिया। बोला, 'तू अपना ने खुद का गराज क्यों नहीं शुरु करता?' मैंने तो सपने में भी ऐसी बात सोची नहीं थी लेकिन आहिस्ता-आहिस्ता मुझे यह आयडिया अच्छा लगने लगा है। घर में बताया। 'तुम कुछ नहीं कर पाओगे।' पिताजी ने फटकार दिया। 'दिवालियाँ हो जाओगे। मिली हुई नौकरी सँभाल और चूप बैठा' माँ को शुरु में आयडिया पसंद आ गया लेकिन वह बहुत शकी किस्म की है। जब उसे पता चला कि यह कल्पना इरु की है, तो उसे शक हो गया कि इस में इरु का जरुर कोई स्वार्थ है। अब उसे यह आयडिया पसंद नहीं। मैंने लाख बार समझाया, इस में इरु को कुछ नहीं मिलनेवाला। लेकिन मानेगी तब। आज मैं और इरु दापोडी के एक अनाथाश्रमा में गए थे। आधा दिन वहाँ बिताया। दोनोंने वहाँ के बच्चों को स्वीटस् दे दिए। इरु को बच्चे बहुत पसंद है। मुझे बच्चे वगैरे सब झंझट लगती है। बच्चों के साथ उसे खेलते देखकर मेरा वहाँ अच्छा टाईमपास हो रहा था। कितना मिल जुल गया था वो बच्चों में। जैसे उसी के अपने बच्चे हो। यकायक मन को बड़ी ठेस पहुंची, उसके नसीब में उसका अपना बच्चा नहीं होगा। उसे एक बार मैंने समझाया कि, 'ठीक है. तुम्हे बच्चे अच्छे लगते हैं लेकिन जब लोगों को तुम्हारी लैगिकता का पता चल जाएगा, तब लोग उसे विपरीत दृष्टि से देखेंगे। गलत अर्थ निकालेंगे। हममें से बहुतेरे लोग, समलैंगिकता और पेडोफीलिया के बीच का फर्क समझते नहीं। (पेडोफीलीया का मतलब है, एक स्त्री या पुरुष को छोटे लड़के/लड़कियों के बारे में होनेवाला भावनिक और शारीरिक आकर्षण) और एक बड़ी गलतफहमी समाज में फैली हुई होती है, कि छोटे लड़के/लड़कियों को बहकानेवाली, उनके साथ अश्लील हरकतें करनेवाले लोग याने समलिंगी लोग। ६१...